
पुरुँगा में प्रस्तावित अंबुजा सीमेंट के अंडर ग्राउंड खदान के खिलाफ लामबंद हुए ग्रामीण,
क्रांतिकारी न्यूज रायगढ़
धरमजयगढ़ विकासखंड के पुरुँगा क्षेत्र में प्रस्तावित अंबुजा सीमेंट की अंडरग्राउंड खदान के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का विरोध लगातार उग्र होता जा रहा है। इस विरोध को अब धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह का मुखर समर्थन मिला है, जिन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों का अधिकार है और किसी भी कीमत पर औद्योगिक प्रतिष्ठानों को यह अधिकार छीनने नहीं दिया जाएगा।विधायक लालजीत सिंह ने न केवल प्रस्तावित औद्योगिक स्थापना का विरोध किया है, बल्कि जल्द होने वाली जनसुनवाई को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट से क्षेत्र की पर्यावरण, आजीविका और सांस्कृतिक पहचान पर गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को विकास के नाम पर आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। धरमजयगढ़ विधानसभा आदिवासी बाहुल्य व पांचवीं अनुसूची पेसा कानून के तहत आने वाला क्षेत्र है यहां बिना ग्राम सभा के प्रस्ताव के सरकार जोर जबरदस्ती कर लोगों की जमीन नहीं छीन सकती है. अंबुजा सीमेंट की पुरुँगा में प्रस्तावित अंडरग्राउंड खदान को तत्काल रद्द किया जाए।

तीन गांवों के ग्रामीणों ने की सामूहिक बैठक
अंबुजा सीमेंट की खदान के प्रस्ताव से प्रभावित होने वाले तीन गांव पुरुँगा, समरसिंघा, तेन्दुमुड़ी के ग्रामीणों ने एक सामूहिक बैठक आयोजित कर अपनी एकजुटता दिखाई। ग्रामीणों का कहना है कि खदान से उनके खेतों, जल स्रोतों और जंगल पर बुरा असर पड़ेगा, जो उनकी आजीविका का मुख्य आधार है।ग्रामीणों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वे किसी भी कीमत पर अपने पूर्वजों की भूमि और जंगल को उद्योगपतियों के हवाले नहीं होने देंगे। उन्होंने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे खदान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को और तेज़ करेंगे और जनसुनवाई नहीं होने देंगे. जरूरत पड़ने पर शासन प्रशासन और उद्योग का पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे ।

ग्रामीणों की चिंताएं
अंडरग्राउंड खनन से क्षेत्र के जल स्तर और प्राकृतिक जल स्रोतों के सूखने का डर।खनन गतिविधियों से जंगल और वन्यजीवों के आवास का विनाश। खेती और वनोपज पर निर्भरता प्रभावित होने का भय। वर्तमान में, इस मसले पर क्षेत्र में तनाव का माहौल है, और सभी की निगाहें आगामी जनसुनवाई और प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।





