
क्रान्तिकारी न्यूज़ रायगढ़, 24 अक्टूबर शुक्रवार अंबुजा सीमेंट (अदानी समूह) की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान को लेकर क्षेत्र में जारी असमंजस और विरोध अब निर्णायक मोड़ पर पहुँचता दिख रहा है। 23 अक्टूबर को जनपद पंचायत सभाकक्ष में कंपनी और प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर यह दावा किया है कि भूमिगत परियोजना का पर्यावरण, जल स्रोत, जल स्तर और वन क्षेत्र पर “शून्य अथवा न्यूनतम प्रभाव” पड़ेगा और न तो वन कटाई, न भूमि अधिग्रहण और न ही विस्थापन की आवश्यकता होगी। हालांकि, संवाद का यह प्रयास ग्रामीणों को संतुष्ट नहीं कर सका।

बैठक में अधिकतर ग्रामीणों की भागीदारी न होने और संवाद के प्रतिनिधि-आधारित स्वरूप को लेकर संशय कायम रहा। इसी पृष्ठभूमि में पुरुँगा, सम्हारसिंघा और तेन्दुमुड़ी के ग्रामीणों ने पुरुँगा स्कूल मैदान में एक बड़ी बैठक आयोजित कर आगामी 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को किसी भी हाल में न होने देने का सर्वसम्मति से संकल्प लिया। इस बैठक में स्थानीय विधायक लालजीत सिंग राठिया सहित तीनों पंचायतों के जनप्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

जिससे जनमत को स्पष्ट राजनीतिक समर्थन भी मिलता दिखाई दिया।बैठक में ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि वे अपनी एक सूत्रीय मांग — “जनसुनवाई निरस्त करो” से पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना था कि खदान जैसे संवेदनशील विषय पर निर्णय “बंद कमरों में या चुनिंदा प्रतिनिधियों के बीच” नहीं, बल्कि खुले और सार्वजनिक मंच पर होना चाहिए। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का संयुक्त मत था कि जब तक कंपनी और प्रशासन सीधे ग्रामीणों के बीच आकर पारदर्शी संवाद नहीं करेंगे और हर सवाल का तथ्यात्मक उत्तर सार्वजनिक रूप से नहीं देंगे, तब तक वे किसी प्रक्रिया को आगे बढ़ने नहीं देंगे। स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि स्थिति अब सीधे संवाद बनाम प्रशासनिक प्रक्रिया वाले मोड़ पर आ खड़ी है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि सरकार खुले संवाद की राह चुनेगी या जनसुनवाई की निर्धारित प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगी। दोनों ही स्थितियों में यह मुद्दा अब और व्यापक स्तर पर राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक चर्चा का केंद्र बनने जा रहा है।
विधायक सहित जनप्रतिनिधियों की भागीदारी
ग्राम पुरुँगा, तेन्दुमुड़ी और सम्हारसिंघा में आयोजित इस विरोधात्मक ग्रामसभा में स्थानीय विधायक सहित तीनों पंचायतों के जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की आशंकाओं, वन एवं पर्यावरणीय प्रभावों तथा आजीविका से जुड़े सवालों को गंभीरता से सुने और कहा कि ग्रामीण हित सर्वोपरि हैं।

समाजसेवियों और ग्रामीणों की व्यापक मौजूदगी
इस दौरान समाजसेवी राजेश मरकाम, राजेश त्रिपाठी, क्षेत्र के बीडीसी सदस्य समेत आसपास के गाँवों से पहुँचे बड़ी संख्या में ग्रामीण—महिलाएँ और पुरुष—सभा का हिस्सा बने। उपस्थित लोगों ने कहा कि वे पारदर्शी जानकारी, खुला संवाद और ग्रामीण हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग पर एकजुट हैं।





