Homeरायगढ़आज अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देने केलो तट पर उमड़ेगी भीड़

आज अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देने केलो तट पर उमड़ेगी भीड़

चार दिवसीय छठ पर्व के दूसरे दिन बनाया गया खरना प्रसाद, प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत प्रारंभ

क्रांतिकारी संकेत न्‍यूज
रायगढ़। सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन बुधवार को छठव्रतियों ने खरना प्रसाद बनाया। दिनभर उपवास कर रात में प्रसाद ग्रहण किया। इसी के साथ 36 घंटे कठिन निर्जला व्रत प्रारंभ हो गया। गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देने छठव्रती परिवार के साथ केलो नदी के छठघाट व अन्य नदी-सरोवरों पर पहुंचेंगे। इस दौरान केलो नदी का तट छठी मैया के लोकगीतों से गुंजायमान रहेगा। केलो नदी के छठघाट, बेलादुला स्थित खर्राघाट, राजापारा स्थित समलाई मंदिर घाट सहित केलो नदी के अन्य तटों व सरोवरों पर अघ्र्य की पूरी तैयारी कर ली गई है। 

छठ महापर्व मूलत: उत्तर पूर्व भारत में जोर-शोर से मनाया जाता है। अब यह पर्व पूरे देश में मनाया जाने लगा है। शहर सहित पूरे जिले में बिहार, उत्तरप्रदेश के लोग बड़ी संख्या में निवासरत हैं। इसके कारण पिछले कुछ सालों से यहां छठ महापर्व की धूम रहती है। विशेषकर शहर के जूटमिल, बेलादुला, ढिमरापुर, इंदिरा नगर किरोड़ीमल नगर, पूंजीपथरा, तमनार, घरघोड़ा सहित इंडस्ट्रियल एरिया में इस पर्व की धूम रहती है। इसमें शहर के हर वर्ग के लोग उत्साह से शामिल होते हैं। लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत मंगलवार को नहाय-खाय से हो गई है। इस दिन छठव्रतियों के साथ पूरे परिवार ने सात्विक भोजन ग्रहण किया। कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात खाया। दूसरे दिन खरना प्रसाद बनाया गया। इस दिन व्रती महिलाओं ने पूरा दिन व्रत रखा और फिर रात के समय खीर प्रसाद ग्रहण किया। खरना के बाद से ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ हो गया, जो छठ व्रत का पारण उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद ही खोला जाता है। छठ महापर्व के तीसरे दिन शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य देने पूरे परिवार के साथ व्रती महिलाएं केलो नदी के तट पर पहुंचेंगी और डूबते हुए सूर्यदेव को अघ्र्य देकर घर-परिवार व संतान की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। इसके दूसरे दिन उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देने के बाद व्रत का पारणा करेंगी। 

मौसम फल व पूजन सामग्री खरीदने बाजार में देर शाम तक लगी रही भीड़
छठ महापर्व पर सूर्य देव को अघ्र्य देने विशेष पूजन सामग्री की जरूरत होती है। शहर के संजय मार्केट, गांधी चौक, सतीगुड़ी चौक, केवड़ाबाड़ी चौक सहित अन्य स्थानों पर बड़ी संख्या में पूजन सामग्री की दुकानें लगी हुई हैं, जहां छठव्रती अपनी जरूरत का सामान खरीदते देखे गए। पूजन सामग्री के साथ मौसमी फल सीताफल, अमरुद, गन्ना, सिंघाड़ा आदि की खूब खरीददारी हुई। साथ ही पूजन सामग्री रखने के लिए दौरा व सूप की भी खरीदीदारी की गई, जिसमें पूजन सामग्री रखकर छठव्रती महिलाएं व परिवार छठघाट पहुंचेगा और अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। 

छठी मैया के लोकगीतों से गूंज रहा जूटमिल क्षेत्र
शहर के जूटमिल क्षेत्र में बिहार मूल के लोगों की बहुलता है। यहां छठपर्व की रौनक अधिक देखी जा रही है। पिछले दो दिनों से यहां छठी मैया के लोकगीतों की धूम मची हुई है। बुधवार को सुबह से देर रात तक छठी मैया के गीतों की गूंज रही। खरना प्रसाद बनाने के दौरान भी व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत गाती रहीं। इसी तरह बेलादुला, इंदिरा नगर, गोरखा, ढिमरापुर क्षेत्र, पूंजीपथरा व किरोड़ीमल नगर में भी छठ पर्व की धूम मची हुई है। इधर केलो नदी के छठघाट सहित अन्य घाट पर बुधवार को शाम तक तैयारियां चलती रहीं। गुरुवार की शाम यहां मेला का माहौल नजर आएगा।

Mentor Ramchandra (Youtube)

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