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चक्रधर समारोह-2024, देशी विदेशी वाद्य यंत्रों की जादुई संगत से चक्रधर समारोह का मंच हुआ रोमांचित

मुंबई के नामचीन कलाकार जीतू शंकर ने अपनी टीम के साथ दी फ्यूजन संगीत की प्रस्तुति

क्रांतिकारी संकेत न्‍यूज रायगढ़। चक्रधर समारोह के तृतीय संगीत संध्या में मुम्बई, दिल्ली से आए कलाकारों के द्वारा प्रस्तुत फ्यूजन, कथक और ओडिसी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुंबई के नामचीन कलाकार जीतू शंकर ने अपनी टीम के साथ फ्यूजन संगीत में बेहतरीन प्रस्तुति दी। वहीं दिल्ली के शैंकी सिंह के गणेश वंदना में कथक के मोहक बारीकियों की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। समारोह में त्रिधारा ग्रुप में गजेन्द्र पण्डा एवं आर्या नंदे ने ओडिसी नृत्य से दर्शकों को शिव भक्ति से रामभक्ति तक ले गए जिससे सभी दर्शक भाव विभोर हो गए।

              चक्रधर समारोह की तीसरी शाम संगीत विशारद से सम्मानित श्री रामप्रसाद सारथी के शास्त्रीय गायन से शुरू हुआ। उनके मधुर स्वर से सजे भजनों से श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। ईश्वर और भक्त के बीच के संवाद को उन्होंने भजन ‘हे ईश्वर आपने हमे क्या नहीं दिया, हमें मालूम हमने आपके लिए क्या किया, ऐसा क्या काम किया मैंने कि तूने मेरा हाथ थाम लियाÓ के जरिए बड़ी खूबसूरती से पहुंचाया। वहीं रायगढ़ की कथक नृत्यांगना सुश्री जया दीवान ने अद्भुत नृत्य प्रस्तुति दी। जया दीवान ने अपनी प्रस्तुति में पारंपरिक कथक के साथ-साथ आधुनिक शैलियों का समावेश करते हुए दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी नृत्य कला में शुद्ध तकनीकी कौशल के साथ भाव और अभिव्यक्ति का भी अनोखा मिश्रण देखने को मिला। जया की प्रस्तुति के दौरान कथक के गति और घुंघरू की अद्भुत तालमेल शामिल रही। जया की प्रस्तुति को दर्शकों ने भरपूर सराहना दी। रायगढ़ घराने की कथक कलाकार सुश्री धरित्री सिंह चौहान आकर्षक कथक की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन जीता। उन्होंने श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन..से कथक की शुरूआत कर अलग -अलग छंद-छंद में अपनी चाल की बेहद अमिट छाप छोड़ी।

             पद्म विभूषण पंडित श्री बिरजू महाराज के शिष्य दिल्ली से आए श्री शैकी सिंह ने नई शैली में कथक की प्रस्तुति दी। उन्होंने भगवान श्री गणेश की स्तुति वंदना पर आधारित गजमुख लागे अति सुन्दर.. गरजत-गरजत घनघोर बादल… पर आकर्षक कथक नृत्य की प्रस्तुति के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया। वे अल्पायु से कथक सीख रहे हैं और वर्तमान में कथक की बारीकियों पर शोध कर रहे है, जो उनकी प्रस्तुति में भाव-भंगिमा, मुद्राओं में स्पष्ट रूप से दिखायी दी। कई पुरुस्कारों से सम्मानित कलाकार श्री शैंकी सिंह ने कथक नृत्य की प्रस्तुति से राजा चक्रधर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।


              मुम्बई से पधारे नामचीन तबला वादक और परकशन आर्टिस्ट जीतू शंकर ने फ्यूजन संगीत की अनोखी प्रस्तुति दी। जिसमें शास्त्रीय वाद्य यंत्रों सारंगी, सितार और संतूर की सुरीली धुनों के साथ तबले की थाप व ड्रम्स और परकशन की जादुई संगत सुनने को मिली। जिससे श्रोताओं के साथ समारोह का पूरा मंच रोमांचित हो उठा। देश राग से उनकी प्रस्तुति शुरू हुई। जिसमें उन्होंने राजा चक्रधर सिंह को ‘महाराज जी थारे घर आए’ गीत के माध्यम से नमन किया। मंच पर वाद्य यंत्रों से जब पधारो म्हारे देश के सुर निकले तो अपने देश की मिट्टी की खुशबू संगीत के धुनों के रूप सुनने वालों के जेहन में उतर गई। संतूर में बजती पहाड़ी धुनों ने श्रोताओं को कश्मीर की वादियों में होने का एहसास दिलाया। कार्यक्रम में शांत और मधुर रागों से शुरू हुआ सांगीतिक सफर धीरे-धीरे ऊर्जावान धुनों में तब्दील हो गया, संगीत की हर धुन में भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई और आधुनिकता का अनोखा संगम था। श्री जीतू शंकर के साथ उनके दोनों बेटे ऋषभ शंकर ने ड्रम्स पर और जैंबे पर पीयूष शंकर ने संगत की। वहीं सारंगी पर उस्ताद शाहरुख खान, संतूर पर मंगेश जगताप, सितार पर उस्ताद सलमान खान ने संगत की। जीतू शंकर एंड टीम की प्रस्तुति इतनी शानदार रही की सुनने वालों ने तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ सभी वादकों के साथ जुगलबंदी की। तबला, संतूर, सितार, सारंगी और ड्रम्स और जैम्बे के साथ श्रोताओं के तालियों की थाप ने समारोह के  पूरे माहौल में अद्भुत ऊर्जा भर दी।

                 कार्यक्रम के अंतिम प्रस्तुति में गजेन्द्र पण्डा एवं आर्या नंदे: त्रिधारा ग्रुप ओडिसी नृत्य से दर्शकों को शिव भक्ति से रामभक्ति तक ले गए, जिससे सभी श्रोता भाव विभोर हो गए। नयी पीढ़ी के ओडिसी नर्तकों के डायनेमिक कला गुरु श्री गजेन्द्र पंडा, प्रख्यात ओडिसी गुरू देव प्रसाद-परम्परा के संवाहक हैं। भुवनेश्वर में संचालित, ओडिसी नृत्य संस्थान त्रिधारा द्वारा वरिष्ठ कलाकारों सहित ओडिसी नर्तकों को नई पौध तैयार करते है। गुरु श्री गजेन्द्र कुमार पंडा हर वर्ष देवधारा के नृत्य आयोजन से नये एवं स्थापित कलाकारों को साझा मंच उपलब्ध कराते हैं। अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजे गये गुरु श्री गजेन्द्र कुमार पंडा ओडिसी नृत्य के अनेक समवेत घुंघरूओं को समुद्र पार के अनेक देशों में ले जाने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने 39 देशों में अपनी प्रस्तुति दी है साथ ही साहित्य अकादमी पुरुस्कार सहित देश विदेश के नामचीन पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके है। इसके साथ ही ओडिय आकाश की बेहद दमकती हुई युवा तारिका सारंगढ़ की सुश्री आर्या नन्दे की में विशिष्ट सहभागिता दी।

           गौरतलब है की ओडिसी नृत्य का घर है और भारतीय शास्त्रीय नृत्य के अनेक रूपों में से एक है। इंद्रीय और गायन के रूप में ओडिसी प्रेम और भाव, देवताओं और मानव से जुड़ा, सांसारिक और लोकोत्तर नृत्य है। नाट्य शास्त्र में भी अनेक प्रादेशिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया है। दक्षिणी-पूर्वी शैली उधरा मगध शैली के रूप में जाती है, जिसमें वर्तमान ओडिसी को प्राचीन अग्रदूत के रूप में पहचाना जा सकता है। ओडिसी नृत्य श्री विष्णु के आठवें अवतार एवं महाप्रभु जगन्नाथ की भक्ति पर आधारित होती है। धड़ संचालन ओडिसी शैली का एक बहुत महत्वपूर्ण और एक विशिष्ट लक्षण है। इसमें शरीर का निचला हिस्सा स्थिर रहता है और शरीर के ऊपरी हिस्से के केन्द्र द्वारा धड़ धुरी के समानान्तर एक ओर से दूसरी ओर गति करता हैं। इसके संतुलन के लिए विशिष्ट प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है इसलिए कंधों या नितम्बों की किसी गतिविधि से बचा जाता है। यहाँ समतल पांव, पदांगुली या ऐड़ी के मेल के साथ निश्चित पद-संचालन हैं। यह जटिल संयोजनों की एक विविधता में उपयोग की जाती है। यहां पैरों की गतिविधियों की बहुसंख्यक संभावनाएं भी हैं। अधिकतर पैरों की गतिविधियां धरती पर या अंतराल में पेचदार या वृत्ताकार होती हैं। पैरों की गतिविधियों के अतिरिक्त यहाँ छलांग या चक्कर के लिए चाल की एक विविधता है और निश्चित मुद्राएं मूर्तिकला द्वारा प्रेरित हैं। इन्हें भंगी कहा जाता है, यह एक निश्चित मुद्रा में गतिविधि की समाप्ति के वास्ताविक संयोग है। हस्तमुद्राएं नृत्त एवं नृत्य दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। नृत्त में इनका उपयोग केवल सजावटी अलंकरणों के रूप में किया जाता है और नृत्य में इनका उपयोग सम्प्रेषण में किया जाता है।

Mentor Ramchandra (Youtube)

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