
क्रांतिकारी डेस्क
पहलगाम आतंकी हमले में अबतक का सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। ये खुलासा एनआईए (NIA) की रिपोर्ट में हुआ है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पहलगाम आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, ISI और पाक सेना की साजिश थी। हमले को अंजाम देने के लिए सभी आतंकी 20 दिन से पहलगाम में थे। साथ ही वारदात को अंजाम देने के लिए अपने हथियार को बेताब घाटी में छिपाया था।
NIA की शुरुआती रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। हमले की योजना पाकिस्तान के लश्कर हेडक्वार्टर में ISI के इशारे पर तैयार की गई थी। जांच में सामने आया कि हमले में शामिल आतंकवादी पाक-अधिकृत कश्मीर (POK) में बैठे अपने हैंडलर्स के संपर्क में थे। उन्हें पाकिस्तान से दिशा-निर्देश और फंडिंग मिल रही थी।
बायसरन घाटी में आतंकी हमले से 17 दिन पहले, कुछ लोग पहलगाम के उन होटलों की रेकी कर रहे थे, जहां ज्यादा टूरिस्ट ठहरते हैं। ये लोग आतंकी नेटवर्क का हिस्सा थे। रेकी का मकसद था कश्मीर घूमने आए लोगों का कत्लेआम। होटल्स से बात नहीं बनी, तो 15 अप्रैल से पहलगाम के आसपास के फेमस पार्क और घाटियों में रेकी शुरू की थी।
जांच में पता चला है कि आतंकी बायसरन घाटी से पहले ऐसी जगह तलाश रहे थे, जहां ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट को मार सकें। सोर्स बताते हैं कि टारगेट चुनने से लेकर हमले की कमान तक सबके पीछे पाकिस्तानी सेना के कमांडो से आतंकी बने हाशिम मूसा का दिमाग था।
रिपोर्ट में OGW का बड़ा खुलासा
पाकिस्तानी आतंकियो को मदद पहुंचाने में Over Ground Workers (OGW) की भूमिका सामने आई है। ये स्थानीय लोग होते हैं, जो आतंकवादियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट, जानकारी, मार्गदर्शन और छिपने की जगह देते हैं। पहलगाम जांच में 150 से अधिक लोगों के बयान रिकॉर्ड किए गए हैं। OGW के संपर्क और सहयोगियों की सूची तैयार की गई है। उनके खिलाफ प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों की पहचान हो गई है। ये POK से जुड़े हुए थे। मुख्य आतंकियों की पहचान हाशिम मूसा और अली उर्फ तल्हा भाई के रूप में की गई है। दोनों आतंकी पाकिस्तान के नागरिक हैं और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। दोनों की मदद कश्मीर में रहने वाले आदिल ठोकर ने की थी।