
नई सरकार को आए करीब पौने दो साल हो गए, पर अब तक केआईटी को लेकर कोई भी सार्थक प्रयास नहीं
क्रांतिकारी संकेत
रायगढ़। किरोड़ीमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (केआईटी) में इस वर्ष भी नए छात्रों का प्रवेश नहीं होगा यानी जीरो ईयर। बीते वर्ष भी यह जीरो ईयर था। तब संभावना जताई जा रही थी कि रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में प्रस्तावित छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी केआईटी को बनाया जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं। केआईटी की जगह पॉलिटेक्निक कॉलेज में सीआईटी खोला जा रहा है। प्री इंजीनियरिंग टेस्ट से छात्रों की काउंसलिंग भी शुरू हो चुकी है।
केआईटी महज एक इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं रहा अब वह राजनीति का ऐसा अखाड़ा बन गया है जिसमें सत्ताधारी दल एक लंबी चुप्पी साध लेता है। विपक्ष में रहने पर केआईटी को लेकर बहुत बड़ी बड़ी बातें की जाती है पर होता कुछ नहीं है। केआईटी को लेकर कोई सार्थक पहल करीब 4 साल पहले की गई थी जब इसके बोर्ड ऑफ गवर्नेंस की बैठक तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल की अध्यक्षता में हुई थी, केआईटी को शासकीय या फिर नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय में समायोजित करने के विकल्प में शासकीयकरण करने का फैसला हुआ। सूत्रों की मानें तो सामान्य प्रशासन विभाग ने केआईटी को शासकीय बनाने का अनुमोदन कर फाइल वित्त विभाग में बढ़ा दी थी। अगले सत्र में केआईटी को स्टेटस के साथ बजट भी मिलता पर सरकार बदल गई। नई सरकार को आए करीब पौने दो साल हो गए। पर सत्ता में आने के बाद अब तक केआईटी को लेकर कोई भी सार्थक प्रयास नहीं हुए हैं।
न्यायालय का आदेश दरकिनार
करीब 20 महीने से से वेतन नहीं मिलने पर केआईटी के तृतीय व चतुर्थ वर्ग के 40 कर्मियों ने नवंबर 2023 में श्रम न्यायालय में गुहार लगाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए श्रम न्यायालय ने कर्मियों के पक्ष में फैसला देते हुए इन्हें लंबित भुगतान और 10 गुना पेनाल्टी देने का आदेश दिया। श्रम न्यायालय में कर्मियों के विरुद्ध तकनीकी शिक्षा मंत्री पदेन अध्यक्ष, किरोड़ीमल पॉलिटेक्निक सोसाइटी, संचालक तकनीकी शिक्षा, कलेक्टर रायगढ़ सदस्य, निदेशक केआईटी सदस्य/सचिव का मामला था। जिसमें से कोई भी श्रम न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ। कोर्ट ने 40 कर्मियों के 20 माह का वेतन 1 करोड़ 43 लाख 40 हजार 280 रुपए और 14 करोड़ 34 लाख 02 हजार 800 रुपए पेनाल्टी देने का आदेश दिया है।