
क्रांतिकारी संकेत
रायगढ़। कल रात और आज सुबह से ही रही मूसलधार बारिश ने एक बार फिर रायगढ़ की तस्वीर को पानी में बहा दिया। रायगढ़ में इंद्रदेव के कहर से कॉलोनियों में घुटनों से ऊपर पानी, घरों में गंदे नालों का सैलाब, सड़कों में नाली का पानी, बिजली गुल और यातायात ठप—शहरवासी सुबह उठे तो लगा मानो शहर में नहीं, किसी तालाब में रह रहे हों। हर साल बरसात में डूबने वाला रायगढ़ इस बार भी वही पुरानी कहानी दोहरा रहा है। फर्क बस इतना है कि हालात और बदतर हो चुके हैं।

कॉलोनियों में कैद हुई जिंदगी
शिवम विहार, कृष्णा वाटिका, फ्रेंड्स कॉलोनी, आशीर्वाद कॉलोनी, मौदहापारा चर्च रोड, गंधरी पुलिया, रामभांठा, बजरंगपारा, गोकुलधाम, गुजराती पारा, गोपी टॉकीज मार्ग सहित दर्जनों इलाके जलभराव की चपेट में हैं। कई घरों में सीवर और नालियों का गंदा पानी घुस आया है, जिससे लोग पूरी रात बाल्टी लेकर पानी निकालते रहे। कई परिवारों ने ऊपरी मंजिल या पड़ोसियों के घरों में शरण ली। सडक़ों पर जलभराव के कारण वाहन फंसे और स्कूली बच्चे घरों में ही कैद रह गए।

‘बरसात पूर्व तैयारी’ की खुली पोल
नगर निगम हर साल बारिश से पहले नालों की सफाई और जल निकासी की व्यवस्थाओं के दावे करता है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। साफ-सफाई या तो होती नहीं, और अगर होती भी है, तो महज खानापूर्ति तक सीमित रहती है। नतीजतन, पहली ही बारिश में ही निगम के सारे दावे नालियों के पानी के साथ बह जाते हैं।



जलभराव की समस्या रायगढ़ के लिए नई नहीं है। बीते तीन दशकों से हर मानसून में शहर का यही हाल होता आया है। पुराने तालाबों को पाटकर कॉलोनियां बसा दी गईं, नालों पर अतिक्रमण कर दिए गए और प्राकृतिक जल निकासी के रास्तों को बंद कर दिया गया। रियासत काल में बनाए गए भूमिगत नालों की ऐतिहासिक व्यवस्था अब ध्वस्त हो चुकी है, जिनके अवशेष आज भी कुछ क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं।