Homeरायगढ़बंसल बंधुओं पर फर्जीवाड़ा व धमकी का आरोप, एक और एफआईआर, डोलोमाइट...

बंसल बंधुओं पर फर्जीवाड़ा व धमकी का आरोप, एक और एफआईआर, डोलोमाइट खनन में शर्तों का उल्लंघन और धमकी के मामले में बुजुर्ग किसान ने थाने में की शिकायत

क्रांतिकारी संकेत
रायगढ़।
रायगढ़ के प्रसिद्ध व्यवसायी बंसल बंधु इन दिनों कानूनी शिकंजे में बुरी तरह फंसे हुए नजर आ रहे हैं। एक के बाद एक आपराधिक मामलों में नाम सामने आने से जिले में सनसनी फैल गई है। डोलोमाइट खनन से लेकर जंगल में अवैध सडक़ निर्माण और धमकी जैसे मामलों में अब तक तीन गंभीर प्रकरण बंसल बंधुओं के नाम दर्ज हो चुके हैं।

विगत 17 जुलाई 2025 को रघुवीर सिंह सिसोदिया, निवासी रायगढ़, ने पुलिस से शिकायत की कि मुकेश बंसल और नानक बंसल ने डोलोमाइट खनन की शर्तों का उल्लंघन करते हुए उनके साथ छल किया और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी। इस पर थाना बाराद्वार में धारा 420 (धोखाधड़ी), 506 (धमकी) और 34 (साझा अपराध) के तहत मामला पंजीबद्ध हुआ। 11 जुलाई को ग्राम जेठा निवासी गणेशराम चंद्रा ने पुलिस को बताया कि मंगल मिनरल्स की खदान, जिसका संचालन मुकेश बंसल द्वारा किया जा रहा था, उसे बिना सुरक्षा उपायों के अचानक बंद कर दिया गया। जब गणेश चंद्रा ने निर्मल अग्रवाल (मैनेजर) से संपर्क कर आपत्ति दर्ज की, तो उसे उक्त दोनों द्वारा गालियां दी गईं और जान से मारने की धमकी दी गई। इस मामले में बाराद्वार पुलिस ने धारा 296 (शांति भंग करना), 3(5) और 351(2) (आपराधिक बल) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। बंसल बंधुओं पर एक के बाद एक आपराधिक शिकंजा कसता जा रहा है। एफआईआर, डीएफओ की कार्रवाई और स्थानीय लोगों की शिकायतों से साफ हो गया है कि मामला केवल व्यवसायिक मतभेद का नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर वन एवं खनिज कानूनों के उल्लंघन का है। यदि अब भी प्रशासन ने सख्ती नहीं दिखाई, तो भविष्य में ऐसे मामलों से वन संपदा और ग्रामीण सुरक्षा दोनों को भारी नुकसान हो सकता है।

रिजर्व फॉरेस्ट में अवैध सडक़ निर्माण
सबसे गंभीर मामला बंसल बंधुओं द्वारा रिजर्व फॉरेस्ट के भीतर अवैध रूप से सडक़ निर्माण का सामने आया है। बिना किसी वन विभागीय अनुमति के जंगल के अंदर से डोलोमाइट परिवहन करने के लिए सडक़ बनवा दी गई। बताया जा रहा है कि पंचायत से अनुमति लेकर काम किया गया, लेकिन यह वन अधिनियम 1927 और वन संरक्षण अधिनियम 1980 का खुला उल्लंघन है, क्योंकि ग्राम पंचायत को रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि पर सडक़ निर्माण की अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है। जब वन विभाग को इस घपले की भनक लगी, तो डीएफओ ने स्वयं मौके पर पहुंचकर जेसीबी से सडक़ को खुदवा दिया।

उठ रहे कई बड़े सवाल
मामले में कई सवाल उठ रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या सिर्फ सडक़ को खोद देने से जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई और खनिज परिवहन जैसे गंभीर अपराध माफ हो जाएंगे? क्या डोलोमाइट खनन घोटाले में अन्य लोगों की संलिप्तता की जांच होगी? जंगल की भूमि पर अवैध कब्जे और सडक़ निर्माण पर स्नक्र्र और पर्यावरणीय नियमों के तहत कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या इन सभी मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए राजस्व, खनिज एवं वन विभाग की संयुक्त कमेटी गठित की जाएगी?

Mentor Ramchandra (Youtube)

Mentor Ramchandra (Youtube)

spot_imgspot_img

Must Read