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गारे पेलमा का ‘धरना’ और कांग्रेस का ‘हुंकार’, प्रदेश अध्यक्ष बैज के साथ धौराभाठा पहुंचे चार विधायक……..जनता की आवाज़ दबाकर नहीं, उनके हक़ को बचाकर चलेगा लोकतंत्र” — दीपक बैज*

जनता की आवाज़ दबाकर नहीं, उनके हक़ को बचाकर चलेगा लोकतंत्र” — दीपक बैज*

क्रांतिकारी न्यूज़ तमनार/ रायगढ़ 19 दिसंबर शुक्रवार

रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक का धौराभाठा क्षेत्र आज प्रदेश की राजनीति का केंद्र बन गया। जिंदल पावर लिमिटेड (JPL) के गारे पेलमा सेक्टर-1 की कोल माइंस के लिए हुई जनसुनवाई को ‘फर्जी’ करार देते हुए ग्रामीणों का आंदोलन अब उग्र रूप ले चुका है। इस संघर्ष को धार देने आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज खुद धरना स्थल पहुंचे उनके साथ खरसिया विधायक उमेश नंदकुमार पटेल, धर्मजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया, चंद्रपुर विधायक रामकुमार यादव, लैलूंगा विधायक श्रीमती विद्यावती सिदार, ग्रामीण अध्यक्ष नगेंद्र नेगी, शहर अध्यक्ष शाखा यादव, रायगढ़ के पूर्व विधायक प्रकाश नायक, पूर्व शहर अध्यक्ष अनिल शुक्ला, नेता प्रतिपक्ष सलीम नियारिया, कांग्रेस प्रवक्ता दीपक मंडल, महामंत्री विकास शर्मा, पुर्व महापौर जानकी काटजू, महिला कांग्रेस अध्यक्ष रानी चौहान, वरिष्ठ नेता जयंत ठेठवार सहित अन्य नेतागणों ने आंदोलनकारीयों को अपना समर्थन दिया है।और सीधे तौर पर सरकार व कॉर्पोरेट गठजोड़ पर हमला बोला।”कांग्रेस पार्टी इस आंदोलन में जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। हम इस लड़ाई को सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे।

जब तक किसानों को न्याय नहीं मिलता, यह संघर्ष थमेगा नहीं। कांग्रेस नेताओं के इस दौरे ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले दिनों में रायगढ़ का यह कोयलांचल क्षेत्र राजनीतिक गहमागहमी का बड़ा केंद्र बनेगा। विपक्ष ने अब इस मुद्दे को ‘अन्याय के विरुद्ध युद्ध’ का नाम दे दिया है।

*जल जमीन और जंगल की रक्षा का संकल्प

शुक्रवार सुबह 12 बजे रायगढ़ से रवाना होकर दीपक बैज धौराभाठा,पहुंचे। वहां कड़ाके की धूप और धूल के बीच बैठे किसानों के बीच जमीन पर बैठकर बैज ने घंटों चर्चा की। ग्रामीणों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराते हुए बताया कि कैसे 8 दिसंबर की जनसुनवाई में उनकी आवाज़ को कुचला गया। धरना स्थल पर लोगों ने अपना जल जंगल जमीन बचाने का संकल्प लिया है।

*बैज और उमेश के कड़े तेवर: 5 बड़े प्रहार*

*फर्जी जनसुनवाई:* “जब जनता सहमत नहीं है, तो यह कैसी जनसुनवाई? प्रशासन ने बंद कमरों और संगीनों के साये में जो नाटक किया है, उसे रद्द किया जाना चाहिए।”

*FIR का डर:* “आश्चर्य है कि जो किसान अपनी जमीन बचाने की बात कर रहे हैं, उन पर प्रशासन FIR दर्ज कर रहा है। क्या अपने हक़ की बात करना अब अपराध है?

“*कॉर्पोरेट प्रेम:* “सरकार ग्रामीणों के लिए कांटे और कॉर्पोरेट के लिए लाल कालीन बिछा रही है। यह विकास नहीं, सीधा-सीधा विनाश और अन्याय है।

“*हक़ की लड़ाई:* “यह सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है, यह इन आदिवासियों और किसानों का अस्तित्व है। धौराभाठा से तमनार तक की यह गूंज अब थमने वाली नहीं है।”

*लोकतंत्र की कसौटी:* “लोकतंत्र जनता से चलता है, चंद पूंजीपतियों के मुनाफे से नहीं। हम मांग करते हैं कि दर्ज मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं।”

*क्यों सुलग रहा है तमनार?*

14 गाँव के लोग एक साथ कड़ा संघर्ष कर रहे हैं, जिसमें आमगांव, बीजना, टांगर घाट, धौराभाठा, महलोई, झरना, लिबरा, आमबाड़ी, बुड़िया, झीकाबाहाल, खुरुषलेंगा, समकेरा, रायपारा और तिलाईपारा शामिल है। गारे पेलमा सेक्टर-1 को लेकर विवाद पुराना है, लेकिन हालिया जनसुनवाई ने आग में घी का काम किया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस बल का प्रयोग कर उन्हें सुनवाई स्थल से दूर रखा गया और केवल कंपनी के पक्षधर लोगों को बोलने का मौका दिया गया। जिससे पुरे क्षेत्र में आंदोलन की चिंगारी सुलग उठी है.

Mentor Ramchandra (Youtube)

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