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मंजूरी : सबका बीमा सबकी रक्षा’ विधेयक पारित….. पहले लोकसभा से अब राज्यसभा से मिल चुकी है मंजूरी…पढ़िए पूरी खबर ….

क्रान्तिकारी न्यूज़ दिल्ली / रायगढ़

राज्यसभा ने बुधवार को ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ को ध्वनि मत से पारित कर दिया। इस विधेयक में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने सहित कई अहम सुधारों का प्रावधान है। इसका उद्देश्य बीमा उद्योग का आधुनिकीकरण करना और ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करना है।

यह विधेयक 16 दिसंबर को लोकसभा में पारित

इससे पहले यह विधेयक 16 दिसंबर को लोकसभा में पारित हो चुका है। इसके तहत बीमा अधिनियम, 1938; भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अधिनियम, 1956; तथा बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) अधिनियम, 1999 में संशोधन किए गए हैं। विधेयक का मकसद कारोबार में सुगमता बढ़ाना, वैश्विक पूंजी आकर्षित करना, पॉलिसीधारकों की सुरक्षा को मजबूत करना और बीमा की पहुंच को व्यापक बनाना है।

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को मजबूत करने के लिए लगातार उठा रही है कदम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों को मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि तीन गैर-जीवन सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में 17,450 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जिसके परिणामस्वरूप पिछले वर्ष एलआईसी, जीआईसी और कृषि बीमा कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एआईसीआईएल) ने रिकॉर्ड मुनाफा दर्ज किया।

बीमा कंपनियों की संख्या 53 से बढ़कर 74 हुई

सीतारमण ने 2014 के बाद बीमा क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि बीमा कंपनियों की संख्या 53 से बढ़कर 74 हो गई है। बीमा पैठ 3.3% से बढ़कर लगभग 3.8% हो गई है, प्रति व्यक्ति बीमा घनत्व 55 डॉलर से बढ़कर 97 डॉलर पहुंच गया है, कुल प्रीमियम 4.15 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 11.93 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां तीन गुना बढ़कर 74.43 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई हैं।

एफडीआई सीमा को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया गया 

उन्होंने बताया कि एफडीआई सीमा को चरणबद्ध तरीके से 26% से 49% और फिर 74% तक बढ़ाने से विदेशी पुनर्बीमा कंपनियों की शाखाएं खुलीं और घरेलू क्षमता मजबूत हुई। वर्ष 2019 में बीमा मध्यस्थों के लिए 100% एफडीआई की अनुमति देने से सलाहकारी सेवाओं में भी सुधार हुआ।

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को 18% से घटाकर शून्य किया गया

वित्त मंत्री ने 56वीं जीएसटी परिषद के उस फैसले की सराहना की, जिसमें व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को 18% से घटाकर शून्य कर दिया गया, जिससे बीमा अधिक किफायती बना।

‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ अभियान के माध्यम से 1,000 करोड़ रुपए से अधिक की लावारिस राशि लोगों को लौटाई गई 

उन्होंने ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ अभियान का उल्लेख करते हुए बताया कि जिला स्तर पर आयोजित शिविरों के माध्यम से 1,000 करोड़ रुपए से अधिक की लावारिस राशि लोगों को लौटाई गई है। साथ ही, ‘बीमा भरोसा’ पोर्टल दावों के निपटारे में सहायक सिद्ध हो रहा है।

सीतारमण ने की सांसदों से बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील

सीतारमण ने सांसदों से बीमा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की और आश्वासन दिया कि सभी बीमा कंपनियों के लिए ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी अनिवार्य जिम्मेदारियां बनी रहेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि दंड की अधिकतम राशि 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये की जा रही है, जिसका उपयोग पॉलिसीधारकों की शिक्षा के लिए किया जाएगा। साथ ही यह स्पष्ट किया कि प्रीमियम पर नियामकीय नियंत्रण बना रहेगा और निजी कंपनियां मनमाने ढंग से प्रीमियम तय नहीं कर सकेंगी।

विदेशी बोर्ड प्रीमियम पर नियंत्रण कर सकते हैं

हालांकि, विपक्ष ने विधेयक का कड़ा विरोध किया। डीएमके सांसद डॉ. कनिमोझी एनवीएन सोमु ने आरोप लगाया कि विदेशी बोर्ड प्रीमियम पर नियंत्रण कर सकते हैं, जिससे काले धन का खतरा बढ़ेगा और राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि यह विधेयक सहकारी बीमा कंपनियों और एलआईसी जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “यह सबका बीमा नहीं, बल्कि सबका बकवास है।”

बीमा सामाजिक सुरक्षा का माध्यम

तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने बीमा को सामाजिक सुरक्षा का माध्यम बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में शेयरधारकों की तुलना में पॉलिसीधारकों के हितों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने विधेयक को जल्दबाजी में लाने का आरोप भी लगाया। विपक्षी दलों ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की और डेटा गोपनीयता, मुनाफे की विदेश वापसी तथा संप्रभुता पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंता जताई।

100% एफडीआई से उपभोक्ताओं को सस्ते व बेहतर बीमा उत्पाद होंगे उपलब्ध 

वहीं, विधेयक के समर्थकों का कहना है कि 100% एफडीआई से वैश्विक विशेषज्ञता आएगी और उपभोक्ताओं को सस्ते व बेहतर बीमा उत्पाद उपलब्ध होंगे। यह बहस बीमा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में उदारीकरण और घरेलू हितों के संरक्षण के बीच संतुलन की चुनौती को रेखांकित करती है। (इनपुट-आईएएनएस)

Mentor Ramchandra (Youtube)

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