
क्रांतिकारी न्यूज
रायगढ़। छत्तीसगढ़ के निर्माण के बाद से तरक्की की राह पर आगे बढ़ा है जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। लेकिन जैसे-जैसे जीएसटी के नियम छत्तीसगढ़ सरकार कड़ा कर रही है। वैसे-वैसे कुछ व्यापारी गलत रास्ते भी ढूंढ़ रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से गुटखा व्यापारी शामिल हैं। ज्ञात हो कि रायगढ़ जिले में गुटखे की बिक्री जबरदस्त है। रोजाना लाखों का गुटखा खपत होता है। यही कारण है कि राजश्री गुटखा सहित विमल, लालपट्टी, माणिकचंद आदि गुटखा रोजाना ट्रकों में भरकर यहां पहुंचता है और तुरंत ही खपत हो जाती है। जिसके चलते माल लगातार आता रहता है। इसी में सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मिली है कि गुटखा कंपनियां जीएसटी टैक्स चोरी करने के लिए अनेक उपाय कर रहे हैं। जिसके कारण छत्तीसगढ़ सरकार को लाखों का राजस्व नुकसान हो रहा है।
यदि ऐसा ही रहा तो साल भर में करोड़ों रूपयों की चपत सरकार को लगेगी। ऐसे में जीएसटी अधिकारियों पर संदेह की सूई घूमती है। ऐसा नहीं है कि जीएसटी विभाग में सभी अधिकारी गलत है। लेकिन कहावत है कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा करती है। इसी तरह वह गंदी मछली रूपी अधिकारी गुटखा कंपनियों के द्वारा हो रही चोरी को क्यों नहीं पकड़ रहे। क्या उनकी कंपनियों से या डिस्ट्रीब्यूटर से या थोक व्यापारी से सेटिंग है? अथवा वे लापरवाही कर गाडिय़ों को छोड़ रहे हैं या स्थानीय रूप से राजनीतिज्ञों का दबाव है। अब सच्चाई क्या है यह तो जीएसटी अधिकारी ही जाने। कुल मिलाकर नुकसान छत्तीसगढ़ सरकार का हो रहा है।
1 बिल में 2-3 बार माल का परिवहन
विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि नामी गुटखा कंपनी के लिए ट्रक से माल आता है जो 1 ही बिल पर 3-3 गाडिय़ां गुटखा लेकर आती हैं जिनकों अलग-अलग स्थानों पर जीएसटी चोरी करके छुपाकर बेचा जाता है। इसका क्रम यह है कि परिवहन नियम के अनुसार बिलासपुर रायगढ़ आने वाली ट्रक 48 घंटे में माल लेकर रायगढ़ पहुंचना चाहिए लेकिन नेशनल हाईवे के बन जाने से ट्रक 4 से 6 घंटे में ही माल लेकर रायगढ़ पहुंच जाता है। ऐसे में नामी गुटखा कपंनी का माल लेकर बिल सहित ट्रक 4 से 6 घंटे में रायगढ़ पहुंच जाता है। उसी बिल को लेकर निजी वाहन से एक व्यक्ति 2 घंटे में बिलासपुर पहुंच जाता है तब तक उस गुटखा कंपनी का माल एक दूसरा ट्रक भरकर तैयार खड़ा होता है। उसी बिल में दूसरा ट्रक फिर से रायगढ़ पहुंच जाता है और यह क्रम तीसरे ट्रक तक चलता है। यह भी पता चला है कि कई बार संदेह से बचने के लिए अलग रास्ते का भी ईस्तेमाल किया जाता है। उक्त गुटखा कंपनी का व्यापारी इतना चालाक और शातिर है कि बिल वाला माल बकायदा अपने घोषित गोडाउन में रखवाता है। जबकि जीएसटी बिल चोरी वाला माल अन्यत्र स्थानों में रखवाता है। इसका एक स्थान छातामुड़ा चौक के पास अपेक्स हॉस्पिटल के करीब है। जिसका पता जीएसटी अधिकारियों को है। लेकिन सेटिंग होने के कारण वह माल नहीं पकड़ाता और सरकार को लाखों के जीएसटी का चूना 1 बार में ही लग जा रहा है। अब जीएसटी चोरी वाले माल को बड़ी तादाद में न भेजकर 1-1 बोरी व 2-2 बोरी ऑटों एवं टैम्पों में भरकर चिल्हर व्यापारियों को, दुकानदारों को, पानठेलों को, गांव-देहात में भेज दिया जाता है। इसी प्रकार यह क्रम लगातार चल रहा है। इतना बड़ा खेल बिना जीएसटी अधिकारियों की मिली भगत के कैसे संभव है। यह सोचने लायक बात है। या तो जीएसटी अधिकारी बेहद लापरवाह है या उनकी सेटिंग उक्त गुटखा व्यापारी से हो चुकी है। सच्चाई चाहे जो भी हो टैक्स चोरी का यह भयावह खेल रोजाना जारी है। सूत्रों का कहना है कि कई बार मौखिक शिकायत एवं जानकारी अधिकारियों को दी जा चुकी है। लेकिन कार्यवाही अभी तक शून्य है। क्यों यह तो जिम्मेदार लोग ही जानें ?
25 लाख के लेन-देन की चर्चा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जुलाई-अगस्त माह में तथाकथित जीएसटी के अधिकारियों द्वारा लंबे लेन-देन के खेल की मार्केट में चर्चा है। ऐसा सूत्रों से पता चला है कि एक नामी गुटखा कपंनी की गाड़ी बिना बिल के पकड़ाई थी जिसके कारण पकडऩे वाले अधिकारियों की चांदी हो गई। क्योंकि यदि बिना बिल के कोई गाड़ी पकड़ाती है तो उसमें 100 से 200 प्रतिशत फाईन का प्रावधान है। और इसी प्रावधान के तहत नामी गुटखा कंपनी की गाड़ी सीजीएसटी अधिनियम की धारा 122 एवं अन्य धाराओं के तहत उसपर 200 गुना टैक्स का डर अधिकारियों के द्वारा बताया गया। जिसके चलते गुटखा व्यापारी बहुत ज्यादा भयभीत हो गया। साथ ही सेटिंग करने के उद्देश्य से उसको जेल का डर भी बताया गया। मार्केट में चल रही चर्चा और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माल 25 लाख से अधिक का था। जिसमें 50 लाख तक के फाईन का डर दिखाया गया साथ ही गाड़ी के राजसात की भी बात की गई। ऐसे में इतने बड़े फाईन और जेल जाने के डर से बचने के लिए मामला 25 लाख में सेट हुआ और उस गाड़ी को छोड़ दिया गया। सूत्र बताते हैं कि इसमें स्थानीय अधिकारियों के अलावा उच्च पदस्थ अधिकारी को भी रकम देना है कहकर रूपये लिए गए। अब यह जांच का विषय है कि किसने पकड़ा, किसने लिया, और यह रूपये किसके-किसके बीच बांटे गए। बात चाहे जो भी हो ऐसे केस अक्सर सुनाई पड़ रहे हैं। यदि इसे रोका नहीं गया तो जीएसटी विभाग पर बदनामी का दाग स्थाई रूप से लग जाएगा।
रोजाना पकड़ते हैं गाड़ी, पर कार्यवाही …

सूत्रों ने यह भी बताया कि जीएसटी अधिकारी मोर्चे पर लगे तो रहते हैं लेकिन वास्तविकता में कितना लगे रहते हैं यह उनकी कार्यवाही से समझ आता है। रोजाना 8 से 10 गाड़ी जीएसटी अधिकारी पकड़ते हैं और उसे लेकर चले आते हैं। कागज दिखाने के नाम पर, नियम कानून के नाम पर, गाडिय़ों को 3-3, 4-4 दिन खड़े किया जाता है यदि हल्ला नहीं हुआ कोई राजनीतिक एप्रोच नहीं आई तो फिर सेटिंग का मौका मिल जाता है। दिखावे के नाम पर 1-2 गाडिय़ों को फाईन कर दिया जाता है। बाकी गाडिय़ों का क्या होता है यह तो अधिकारी ही जाने। कुल मिलाकर इस प्रकार के खेल निरंतर जारी है। यदि इसे रोका नहीं गया तो शासन को रेवेन्यू का नुकसान तो होगा ही साथ ही बदनामी भी झेलनी पड़ेगी।
वित्त, वाणिज्य मंत्री ओपी चौधरी का नियम पालन का निर्देश
छत्तीसगढ़ सरकार के प्रभावशाली मंत्री ईमानदार विधायक ओपी चौधरी के द्वारा समय-समय पर जीएसटी विभाग को नियम का पालन करने, ईमानदारी से कार्यवाही करने, गलत कर रहे व्यापारी को न छोडऩे, सही व्यक्ति को परेशान न करने की हिदायत लगातार दी गई है। ओपी चौधरी के वित्त मंत्री बनने के बाद छ.ग. के राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई है। पूर्व आईएएस अधिकारी होने के कारण उनको बारिक से बारिक कानून का ज्ञान है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के व्यापार को ऊंचाई देने के लिए निरंतर मेहनत कर कानून का पालन करना सिखाया है। चूंकि जब-जब कानून की कड़ाई होती है तब-तब अधिकारी उसका डर दिखाकर अपनी पौ-बारह भी कर लेते हैं। ऐसे में कुछ केस भीतर ही भीतर दबा दिए जाते हैं। लेकिन मंत्री ओपी चौधरी अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। ऐसी खबर की भनक उनको लगते ही अधिकारियों की खैर नहीं होगी। इस प्रकार के कार्य की तसदीक यदि हो जाती है तो ओपी चौधरी अधिकारियों की नाक में नकेल अवश्य डालेंगे यह विश्वास प्रशासन एवं जनता सभी को है। और इस प्रकार का कोई भी टैक्स चोरी या डर दिखाकर वसूली अधिकारी नहीं कर पाएंगे। यह भरोसा ओपी चौधरी पर बना हुआ है।