
मान्यता के अनुसार जंगल की लकड़ी काटने हजार बार सोचते हैं लोग
क्रांतिकारी संवाददाता/जांजगीर-चांपा। शारदीय क्वांर नवरात्रि में पहाड़ में विराजित मां अन्नाधरी दाई पहरिया पाठ में दर्शन के लिए श्रद्धालुओंकी भीड़ उमड़ रही है। पहरिया में पहाड़ के ऊपर हरियाली के बीच मां अन्नधरी दाई विराजमान है। बलौदा ब्लाक के ग्राम पहरिया में मां अन्नधरी दाई पहरिया पाठ पहाड़ में विराजमान है। पहरिया पाठ के संदर्भ में कोई लिपिबद्ध इतिहास तो नहीं फिर भी बुद्धजीवी के अनुसार इतिहास पुराना है। जब पहरिया रतनपुर राज्य के अंतर्गत आने वाला पहाड़ी गांव था। ग्राम पहरिया पहाडों से घिरा हुआ है।
मां अन्नधरी दाई की महिमा के कई चमत्कारिक बाते कही जाती है। बुजुर्गों के द्वारा अनेको कहानियां बताई जाती है। अन्नधरी दाई पहाड़ में विराजमान है। पहाड़ में बड़े-बड़े वृक्ष लगे हुए है, कई वृक्ष टूटे पड़े है, लेकिन कोई इस लकड़ी का उपयोग नहीं करता। इस पहाड़ में छायादार वृक्ष करोड़ों की संपत्ति होगी जो आज भी सुरक्षित है इस पहाड़ के जंगल की लकड़ी को कोई काटता नहीं, वहां का एक तिनका उठाकर कोई भी बाहर नहीं ले जा सकता, अन्नधरी मां की कृपा से यहां की हरियाली बनी हुई है। आज जहां सरकार जंगल बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च करती है फिर भी लकड़ी चोर माफियाओं को रोक पाने में नाकाम रहती है। वही पहरिया में मां अन्नधरी दाई की कृपा से पूरा जंगल सुरक्षित है। आप यहां से गुजरते समय सड़क से यह नजारा देख सकते है सड़क किनारे जंगल की लकडिय़ां टूटी पड़ी नजर आ जायेगी, टूटी लकडिय़ां वही सड़ जाती है टूटी लकडिय़ों को कोई नहीं ले जाते। मान्यता है कि कोई अनहोनी घटना न हो जाए। यह क्षेत्र पूरा पहाड़ और जंगलों से घिरा हुआ था सिर्फ पहरिया पहाड़ के ही जंगल बचा हुआ है क्योंकि यहां मां अन्नधरी दाई की कृपा है। पहरिया पहाड़ के जंगल की लकड़ी को कोई नहीं काटता। यहां के लोगों ने समिति गठन कर अन्नधरी दाई के विकास के लिये अनेको कार्य किए और मंदिर निर्माण कराए गये। मां के दरबार में अनेको मूर्तियों का निर्माण किया गया। जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। पहाड़ के ऊपर बड़े बड़े वृक्ष बरसात के मौसम में हरियाली भरा मनमोह रहा है। पर्व के अलावा अन्य दिनों में भी यहां लोग पर्यटन स्थल के रूप में घूमने आते रहते है।