Homeछत्तीसगढ़निजी स्कूलों का आरटीई का बकाया बढ़कर हुआ 300 करोड़ रूपए

निजी स्कूलों का आरटीई का बकाया बढ़कर हुआ 300 करोड़ रूपए

राशि बढ़ाने और छुट्टियां कम करने सहित कई मांगें रखीं स्कूल संगठन ने
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने अनेक मुद्दों को लेकर शिक्षा विभाग के सचिव को ज्ञापन सौंपा है। इसमें स्कूलों को आरटीई के तहत भर्ती बच्चों के एवज में दी जाने वाली बकाया रकम के बढक़र 300 करोड़ हो जाने के आलावा बच्चों की संख्या के हिसाब से दी जाने वाली इस रकम में बढ़ोत्तरी करने सहित अन्य कई मुद्दों पर अपनी मांगें रखी हैं।

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प्रदेश में संचालित निजी स्कूलों के संगठन ने इस बार छुट्टियों के बीच शिक्षा विभाग के समक्ष अपनी कई समस्याएं रखते हुए उनके निराकरण की मांग की हैं। इनमें प्रमुख रूप से आरटीई की प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान जल्द से जल्द कराने की मांग की गई है। पत्र में बताया गया है कि 300 करोड़ से ऊपर की प्रतिपूर्ति राशि स्कूलों की बकाया है। मांग की गई है कि सभी जिलों की लंबित आर.टी.ई. की प्रतिपूर्ति राशि को अविलम्ब स्कूलों के खातों में हस्तांतरित किया जाए।
साथ ही यह भी बताया गया है कि पिछले 12 वर्षों से आरटीई की राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई है। इनकी मांग है कि आर.टी.ई. की राशि प्राथमिक कक्षाओं में 7000 से बढक़र 15000, माध्यमिक की 11,500 से बढ़ाकर 18,000 एवम हाई और हायर सेकंडरी की अधिकतम सीमा को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 तक की जाये।

बसों के फिटनेस की समस्या
स्कूल संगठन का कहना है कि शैक्षणिक उपयोग की बसों को 12 साल बाद फिटनेस नहीं दी जा रही और वह बेकार हो जा रही हैं, जबकि आम परिवहन की बसों को 15 साल की अवधि तक संचालित करने का नियम है। यह नियम हमारी बसों को 12 साल बाद बेचने पर मजबूर कर रहा है, जबकि शैक्षणिक उपयोग की बसें कमर्शियल बसों से कम चलती हैं तथा सुरक्षा के ज्यादा उपाय हैं। शैक्षणिक उपयोग की बसों को भी 15 साल की अवधि तक संचालित करने की अनुमति प्रदान की जाये। इसी तरह बसों में लगाए जाने वाले जीपीएस तथा पैनिक बटन जो बाजार में आसानी से 3500 से 4000 रूपये के बीच उपलब्ध हैं, उसे कंपनियों द्वारा स्कूल संचालकों को 13500 से 14000 रुपए में दिया जा रहा है। इसे लूट बताते हुए इनकी राशि ठीक करवा कर इन्हें उपलब्ध कराई जाए ताकि इसे वे अपनी बसों में इस लगा सकें।

पाठ्य पुस्तक की अनिवार्यता को लेकर कही ये बात
आरटीई के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक, गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध कराने के संबंध में छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक डब्ल्यूपीसी: 5365/2021 दाखिल की थी। इस याचिका में दिनांक 14.09.2022 को अंतरिम आदेश देते हुए उच्च न्यायालय ने स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशों के क्रियान्वयन पर संगठन को स्टे प्रदान कर दिया है। उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश तक किसी भी स्कूल पर कार्यवाही पर रोक लगाई जाये और इसका विधिवत आदेश जारी किया जाये।

Mentor Ramchandra (Youtube)

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