
राजमाता कुमुदनी देवी सिंह ने परिवार की उपेक्षा का दर्द किया साझा
रायगढ़। रायगढ़ के प्रतिष्ठापूर्ण और ऐतिहासिक चक्रधर समारोह के गरिमापूर्ण आयेाजन को लेकर एक तरफ जहां जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर जुटा हुआ है और वीआईपी अतिथियों से लेकर गणमान्य नागरिकों व स्वयंसेवी संगठनों को आमंत्रित पत्र बांटे जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। वहीं दूसरी ओर रियासतकालीन परंपरा के अनुसार संगीत सम्राट महाराजा चक्रधर सिंह के वंशजो की उपेक्षा का भी आरोप जिला प्रशासन व आयोजन समिति पर लगने लगा है। राजा चक्रधर के वंशज व तत्कालीन राजा सतवीर बहादुर की मां व राजमाता कुमुदनी देवी सिंह ने मीडिया के सामने अपने परिवार की उपेक्षा का दर्द साझा किया।

मीडिया से रूबरू होते हुए राज माता ने रायगढ़ के चक्रधर समारोह में वर्तमान राजा और राज परिवार के वास्तविक वंशजो की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि राज परिवार से जुडा कार्यक्रम होनें के बावजूद उनके परिवार की मान सम्मान का ख्याल नही रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आयोजन को लेकर अब तक उन्हें कोई भी सूचना नही दी गई और न ही आमंत्रण पत्र उन्हें अब तक मिला है। जबकि समारोह का आगाज होनें में अब चंद दिन ही शेष है। राजमाता ने कहा कि रियासतकालीन समय से पूर्व के दशकों में जब चक्रधर समारोह का आयोजन जन सहयोग से होता रहा है। तभी से राज परिवार के लोग ही कार्यक्रम में अतिथि हुआ करते थे और उनके हाथों से ही मंच के कलकारों को पुरूस्कार बांटे जाते थे। कलांतर में यह आयोजन राज्य सरकार के सुपुर्द होनें के बाद परिस्थितियां बदली है। मगर इसके बावजूद आयोजन समिति को हर परिस्थिति में राज परिवार के मान सम्मान का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षो के दौरान न तो महल में इस अवसर पर होनें वाले साफ-सफाई व रंगाई पोताई व रोशनी की जा रही है और न ही बगल के महल में गणेश पंडाल लगाकर मुर्ति स्थापित की जा रही है। जबकि इस परंपरा को राजा चक्रधर सिंह ने ही शुरू किया था।
उन्होंने यह भी कहा कि अपने परिवार की उपेक्षा से नाराज होकर पिछले दिनों उन्होंने जिलाधीश को इस बाबत पत्र भी लिखा है और स्वयं भी जाकर उनसे मिली है। जिस पर जिलाधीश ने स्वयं उन्हें आमंत्रित करने की बात कही थी। मगर अब तक उन्हें न तो आमंत्रण पत्र मिला है और न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी ने उनसे अब तक मुलाकात की है। जबकि राज परिवार के सदस्यों को उत्तराधिकार के हिसाब से आयोजन समिति का सदस्य बनाना सही होता। उन्होंने यह भी कहा कि आमंत्रण पत्र को लेकर वे इस बात को इसलिये कह रही है क्योंकि पिछले साल भी आयोजन शुरू होनें के चार दिन बाद उन्हें आमंत्रण पत्र मिला था। इस तरह की कार्रवाई से उनका परिवार अपने आपको इस गरिमापूर्ण समारोह में उपेक्षित महसूस कर रहा है। एक सवाल के जवाब में राजमाता ने यह भी कहा कि राजपरिवार के अन्य सदस्यों को बुलाने व सम्मान देने को लेकर वे कुछ नही कहना चाहती। वे तो सिर्फ अपने परिवार और रायगढ़ राज परिवार के वास्तवित वशंज का यथोचित सम्मान इस समारोह में राजपरिवार को मिले बस यही चाहती है।