
खेतों में मजदूरों के लिए बनाई गई झोपडिय़ों को मार्बल, ग्रेनाइट लगी हवेली शो कर करोड़ों रुपए की बंदरबांट
क्रांतिकारी संकेत
रायगढ़। गारे पेलमा कोल ब्लॉक के मुआवजे में जिस एसडीएम के चलते बड़ा घोटाला हुआ, उस पर तत्कालीन रायगढ़ कलेक्टर की खास नजरे इनायत रही। तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर प्रमोट होने पर उसे वहीं पर उसे एसडीएम बना दिया। दो साल बाद ट्रांसफर हुआ तो वह हाई कोर्ट से स्टे ले आया। उसके बाद भी डंके की चोट पर वह डेढ़़ साल वहां पोस्टेड रहा। करोड़ों के मुआवजा कांड में राज्य सरकार ने तत्कालीन एसडीएम को सस्पेंड किया है। मगर राजस्व विभाग भी कम कमाल का नहीं है। जांच कमेटी ने मई 2024 को 68 पेज की जांच रिपोर्ट सौंप दी थी मगर अभनपुर कांड की तरह उसे भी दबा दिया गया।
छत्तीसगढ़ सरकार की बिजली परियोजना के लिए भारत सरकार ने रायगढ़ जिले घड़घोड़ा ब्लॉक के गारे पेलमा में कोल ब्लॉक आबंटित किया था। घड़घोड़ा एसडीएम अशोक कुमार मार्बल ने किसानों से अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के एवज में मुआवजे के लिए 30 जनवरी 2021 को 478 करोड़ रुपए का अवार्ड पारित किया। इसके बाद भूअर्जन की प्रक्रिया शुरू हुई।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, एसडीएम समेत राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने कागजों में करोड़ों रुपए का मुआवजा बांट डाला। खेतों में मजदूरों के लिए बनाई गई झोपडिय़ों को मार्बल, ग्रेनाइट लगी हेवली शो कर करोड़ों रुपए की बंदरबांट कर दी गई। सरकारी खजाने को चूना लगाने के लिए मेड़ों पर धान की खेती कर बर्जर भूमि को उपजाउ बना दिया। जिस इलाके में एक भी पेड़ नहीं, वहां सागौन जैसे महंगे पेड़ दिखाकर पैसे लूटे गए।
मुआवजे की बंदरबांट की राज्य की बिजली जेनरेशन कंपनी ने कलेक्टर से शिकायत की तो तत्कालीन कलेक्टर ने शिकायत को खारिज कर दिया। इसके बाद बिजली कंपनी कमिश्नर के पास अपील की। कमिश्नर के जरिये ये मामला राज्य सरकार के पास पहुंचा। अगस्त 2023 में इस केस को सरकार ने जांच के लिए कमेटी गठित की। राज्य सरकार के निर्देश पर कमिश्नर लैंड रेवेन्यू की कमेटी ने इसकी जांच की। राज्य स्तरीय जांच दल ने 13 सह जांच टीम बनाई। महीने भर की मशक्कत के बाद कमेटी ने मई 2024 को 68 पेज की रिपोर्ट राजस्व विभाग को सौंपी। इसके बाद 5 जून को सरकार ने तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल को सस्पेंड कर दिया।
एक साल तक दबी रही जांच रिपोर्ट, निलंबन आदेश भी 10 दिन तक दबा रहा
जांच कमेटी ने मई 2024 में राजस्व विभाग को 68 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंप दी थी। मगर राजस्व विभाग इसे दबाए बैठा रहा। जब सरकार की नोटिस में आई तो 5 जून की डेट में तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल को सस्पेंड किया गया। मगर निलंबन आदेश को भी 10 दिन तक दबा दिया गया।
डिप्टी कलेक्टर प्रमोट होने पर वहीं बना दिया एसडीएम
घड़घोड़ा के एसडीएम अशोक मार्बल छत्तीसगढ़ के कलेक्टरों के इतने प्रिय रहे कि तहसीलदार से प्रमोट होने के बाद वहीं पर उसे एसडीएम की कुर्सी सौंप दी गई। मार्बल वहां चार साल से अधिक समय तक एसडीएम रहे। मई 2020 में राज्य सरकार ने ट्रांसफर किया तो हाई कोर्ट से स्टे ले आए। उसके बाद भी वे 7 जून 2022 तक एसडीएम बने रहे। इस दौरान रायगढ़ के कलेक्टरों की उन पर जमकर कृपा बरसती रही। हालांकि, मुआवजा वितरण में कलेक्टर की भूमिका नहीं होती मगर जिले का मुखिया होने के कारण उसे अपने मातहतों पर नजर रखने का कर्तव्य तो बनता है। फिर एक कलेक्टर ने तो बिजली कंपनी की गलत मुआवजा बांटने की शिकायत खारिज कर दी।