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उद्योगों का काला धुंआ और फ्लाईऐश लोगों को बना रहा बीमार..! सांस लेना होते जा रहा दुभर

पूंजीपथरा, तमनार, घरघोड़ा में वायु प्रदूषण चरम पर
बिना तारपोलिन ढंके वाहनों से फ्लाईऐश व कोयला का बेधडक़ हो रहा परिवहन

क्रांतिकारी संकेत
रायगढ़।
 जिले में उद्योगों और खदानों से होने वाला प्रदूषण गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। वायु, धूल, और फ्लाई ऐश प्रदूषण के कारण पूंजीपथरा, तमनार, चंद्रपुर, और घरघोड़ा जैसे क्षेत्रों में वातावरण सांस लेने के लिए असुरक्षित हो गया है, जिससे सांस और त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (सीईसीबी) की ओर से हालिया विशिष्ट रिपोर्ट तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन विभिन्न स्रोतों और समाचारों के आधार पर स्थिति चिंताजनक है।

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ग्रीनपीस इंडिया की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, रायगढ़ दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में 48वें स्थान पर था। जिंदल स्टील एंड पावर, सुनील इस्पात, और अन्य इस्पात व बिजली संयंत्र जैसे उद्योग प्रतिदिन लगभग 20,000 टन कोयले की खपत करते हैं, जो वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। पीएम10, सल्फर डाइ ऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक डब्ल्यूएचओ और सीपीसीबी के मानकों से कहीं अधिक पाए गए हैं। कोयला खदानों से निकलने वाली धूल और बिना ढंके परिवहन ने सडक़ों पर धूल प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है।

प्रशासन की कार्रवाई के बाद भी फ्लाईऐश निपटान में लापरवाही
जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। 2024 में अवैध फ्लाई ऐश परिवहन और डंपिंग के लिए 1.70 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि बिना तारपोलिन ढके परिवहन के लिए 18 लाख रुपये और उत्सर्जन मानकों से अधिक प्रदूषण के लिए 8.70 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया। फरवरी 2025 में 14 उद्योगों पर 10.51 लाख रुपये का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति शुल्क लगाया गया। नवंबर 2024 में जिंदल स्टील एंड पावर सहित कई उद्योगों पर वायु प्रदूषण के लिए 2 लाख रुपये का जुर्माना भी शामिल है। पर्यावरण, राजस्व, माइनिंग, और पुलिस विभाग की संयुक्त टीमें धूल, धुआं, और ध्वनि प्रदूषण की निगरानी कर रही हैं। कोयला और रेत परिवहन में तारपोलिन कवर और नोडल अधिकारी का नाम अनिवार्य किया गया है।

उद्योग स्थापना व विस्तार का स्थानीय लोग कर रहे विरोध
प्रदूषण नियंत्रण के बावजूद चुनौतियां बरकरार हैं। रायगढ़ में औद्योगिक विस्तार, जैसे रायगढ़ इस्पात कंपनी की परियोजना, के खिलाफ स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे प्रदूषण और बढ़ेगा। सरकारी तंत्र पर लापरवाही और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कारगर उपायों की कमी के आरोप लग रहे हैं। कई उद्योगों में वायु प्रदूषण रोधी उपायों की कमी भी देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े नियमों का पालन, नियमित निगरानी, और उन्नत प्रदूषण रोधी तकनीकों का उपयोग आवश्यक है। सीपीसीबी और सीईसीबी को रायगढ़ जैसे औद्योगिक जिलों के लिए विशेष कार्य योजनाएं लागू करनी चाहिए, जिसमें औद्योगिक उत्सर्जन की ऑनलाइन निगरानी और फ्लाई ऐश प्रबंधन के लिए सख्त दिशानिर्देश शामिल हों। स्थानीय समुदाय की भागीदारी और उनकी शिकायतों का त्वरित समाधान भी जरूरी है। रायगढ़ में प्रदूषण की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन और उद्योगों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि पर्यावरण और जनस्वास्थ्य की रक्षा हो सके।

Mentor Ramchandra (Youtube)

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