
क्रांतिकारी संकेत
रायगढ़। कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के निर्देशन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल कुमार जगत के मार्गदर्शन में रायगढ़ में डेंगू (Raigarh me Dengue) नियंत्रण को लेकर विशेष पहल की गई है। डेंगू रोधी माह जुलाई के अंतर्गत शहरी क्षेत्र की मितानिनों के लिए चार बैचों में जिला स्तरीय समीक्षा बैठक सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 10, 17, 21 एवं 28 जुलाई को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय स्थित आरोग्यम सभाकक्ष में सम्पन्न हुआ।
प्रशिक्षण के दौरान जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. टी.जी. कुलवेदी ने बताया कि डेंगू एक वेक्टर जनित रोग है, जो संक्रमित मादा एडिज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है और दिन के समय काटता है। उन्होंने बताया कि मादा मच्छर के अंडे भी संक्रमण का स्रोत बन सकते हैं, जो पानी में आने पर नए संक्रमित मच्छर पैदा करते हैं। एक मच्छर लगभग 300 अंडे देती है।
प्रशिक्षण में डॉ. कुलवेदी ने डेंगू मच्छर की पहचान, उसके जीवन चक्र एवं नियंत्रण के उपायों पर विस्तृत जानकारी दी। मितानिनों को टेमीफॉस घोल की विधि बताते हुए कहा कि 10 लीटर पानी में 2.5 मि.ली. टेमीफॉस मिलाकर उन स्थानों पर उपयोग करें जहां मच्छरों के लार्वा पनपते हैं। मितानिनों को आवश्यकतानुसार टेमीफॉस का वितरण भी किया गया।
इसके साथ ही रायगढ़ में डेंगू (Raigarh me Dengue) के लक्षण, सामान्य बुखार से अंतर और बचाव के उपायों की जानकारी दी गई। मितानिनों को समझाया गया कि डेंगू के लक्षण दिखने पर मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजें, उसकी खून की जांच करवाएं और ट्रैवल हिस्ट्री संबंधित स्वास्थ्यकर्मी को अवश्य बताएं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू मरीजों की नियमित निगरानी और फॉलोअप के निर्देश दिए गए। पिछले वर्ष जिन क्षेत्रों में डेंगू के अधिक मामले पाए गए थे, वहां विशेष सतर्कता, प्रचार-प्रसार और पूर्व तैयारी के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
निष्कर्ष: डेंगू नियंत्रण (Dengue Niyntran) के लिए रायगढ़ जिला प्रशासन द्वारा समय रहते मितानिनों को प्रशिक्षित कर, संभावित हॉटस्पॉट क्षेत्रों में कार्रवाई की रणनीति बनाई जा रही है। इससे डेंगू के प्रकोप को रोकने में सफलता मिलने की संभावना है।