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30 मार्च को मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, घर पर कैसे बनाएं गुड़ी…..पढ़िए गुड़ी पवड़ा त्योहार से जुडी अन्य विस्तृत जानकारी…..

क्रांतिकारी संकेत रायगढ़ गुड़ी पड़वा एक वसंत त्योहार है जो मराठी और कोंकणी हिंदुओं के लिए चंद्र-सौर नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

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  • गुड़ी पड़वा चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ 30 मार्च को मनाया जाएगा।
  • गुड़ी की पूजा विजय, समृद्धि और नवजीवन का प्रतीक है।
  • घर की छत या मुख्य द्वार पर गुड़ी लगाना शुभ माना जाता है।

 गुड़ी पड़वा हिंदू धर्म में विजय, समृद्धि और नवजीवन का प्रतीक है। इस दिन गुड़ी स्थापित करने और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। यह पर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।

इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गुड़ी (विजय पताका) स्थापित की जाती है। इस दिन पारंपरिक पूजा के साथ नए वर्ष का स्वागत किया जाता है। यह पर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसी दिन से नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है।

गुड़ी पड़वा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि: 30 मार्च 2025, रविवार
  • सूर्योदय: प्रातः 5:52 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 6:13 बजे
  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 29 मार्च 2025, शाम 4:27 बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त: 30 मार्च 2025, दोपहर 12:49 बजे

शुभ मुहूर्त

 मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त04:18 AM से 05:05 AM तक
प्रातः संध्या04:42 AM से 05:52 AM तक
अभिजीत मुहूर्त11:38 AM से 12:27 PM तक
विजय मुहूर्त02:06 PM से 02:56 PM तक
गोधूलि मुहूर्त06:12 PM से 06:36 PM तक
सायं संध्या06:13 PM से 07:23 PM तक
अमृत काल02:28 PM से 03:52 PM तक
निशिता मुहूर्त11:39 PM से 12:25 AM तक
सर्वार्थ सिद्धि योग04:35 PM से 05:50 AM तक

गुड़ी पड़वा का महत्व

  • ब्रह्मांड के निर्माण का प्रतीक: मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था।
  • विजय का प्रतीक: राजा शालिवाहन ने शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में गुड़ी फहराई थी।
  • नववर्ष का आरंभ: यह दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
  • कृषि से जुड़ा महत्व: इस दिन से रबी फसलों की कटाई और खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी शुरू होती है।
  • नवरात्रि का प्रारंभ: इसी दिन से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पर्व नवरात्रि शुरू होता है।

गुड़ी पड़वा के अन्य नाम

  • महाराष्ट्र: गुड़ी पड़वा
  • कर्नाटक: युगादी
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: उगाड़ी
  • गोवा और केरल: संवत्सर पड़वो
  • कश्मीर: नवरेह
  • मणिपुर: सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा

गुड़ी पड़वा कैसे मनाएं?

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और तेल का उबटन लगाएं।
  • घर को सजाएं और मुख्य द्वार पर गुड़ी स्थापित करें।
  • पूरनपोली और श्रीखंड जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाएं।
  • नीम और गुड़ का सेवन करें, जो स्वास्थ्य के लिए शुभ माना जाता है।
  • गुड़ी की पूजा करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

गुड़ी पड़वा की पूजा विधि

  • घर को स्वच्छ करें और स्नान करें।
  • सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
  • भगवान ब्रह्मा की पूजा करें।
  • घर के मुख्य द्वार पर गुड़ी लगाएं।
  • गुड़ी के पास रंगोली बनाएं और चौकी सजाएं।
  • हल्दी, कुमकुम, अक्षत, फूल और नारियल चढ़ाएं।
  • मीठे पकवान का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं।

घर पर गुड़ी कैसे बनाएं?

  • एक डंडा
  • रेशमी साड़ी या चुनरी
  • लाल रंग का कपड़ा
  • नीम की टहनी और आम के पत्ते
  • फूल, फूलों की माला, बताशे की माला
  • कलश, हल्दी, कुमकुम, रंगोली
  • बांस को धोकर स्वच्छ करें और हल्दी-कुमकुम से टीका लगाएं।
  • बांस पर रेशमी साड़ी बांधें।
  • नीम की टहनी, आम के पत्ते, फूल माला और बताशे की माला लगाएं।
  • कलश पर स्वास्तिक बनाएं और गुड़ी के ऊपर बांधें।
  • गुड़ी को घर के मुख्य द्वार या छत पर स्थापित करें।

नोट: इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य सूचनाओं पर आधारित है। क्रांतिकारी संकेत न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

Mentor Ramchandra (Youtube)

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