
*योगेश कबूलपुरिया की कलम से*
नई दिल्ली के सराफा बाजार में 22 अप्रैल को 10 ग्राम सोने की कीमत 1,00,000 के स्तर को पार कर गई, जिसका तात्कालिक कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत का 3,510 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार करना है। बीते 20 दिनों में सोने की कीमत दस फीसदी बढ़ी है। इस साल अब तक सोने की कीमत में 22,000 रुपये से ज्यादा और विगत एक महीने में 10,000 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हुई। भारत जब आजाद हुआ था, तब 10 ग्राम 24 कैरेट वाले सोने की कीमत 88.62 रुपये थी और वर्ष 1964 में इसकी कीमत और भी कम होकर 63.25 रुपये के स्तर पर पहुंच गई थी। इस तरह, सोने की कीमत 78 वर्षों में चंद रुपयों से आगे बढ़ते हुए 1,00,000 रुपये के स्तर को पार कर गई। वर्ष 2006 में 10 ग्राम सोने की कीमत 10,000 रुपये थी, जो अप्रैल 2025 में बढ़कर 1,00,000 को पार कर गई।
मौजूदा समय में सोने की कीमत बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें सबसे प्रमुख अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनाई जा रहीं आर्थिक नीतियां और अमेरिका की चीन के साथ कारोबारी जंग शुरू ग्राम होना है। ट्रंप के रुख से वैश्विक स्तर पर कारोबारी जंग शुरू होने और मंदी आने की संभावना बढ़ गई है। अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनी हुई है और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये में चार फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। विश्व के कुछ भागों में भू-राजनैतिक तनाव के बने रहने, शेयर बाजार में हाल में आई गिरावट आदि के कारण बेहतर प्रतिफल की आस में लोग सोने में निवेश कर रहे हैं, जिससे सोने की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। उदाहरण के तौर पर, हाल में गोल्ड ईटीएफ में निवेश दुनिया भर में 12 फीसदी बढ़कर 8.6 अरब डॉलर हो गया है। भारत में महंगाई थोड़ी कम हुई है, लेकिन विदेशों में इसका डर बरकरार है। भारत में मार्च, 2025 में खुदरा महंगाई सालाना आधार पर 3.34 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि फरवरी में यह 3.61 फीसदी की दर से बढ़ी थी। बीते 67 महीनों में खुदरा महंगाई सबसे कम स्तर पर है। सोने की कीमत बढ़ने से आभूषणों की मांग में कमी आई है, जिससे आभूषण उद्योग चिंतित है। आमजन सोना खरीद पाएं, इसके लिए आभूषण निर्माता 14 कैरेट सोने की बिक्री बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। साथ ही, नौ कैरेट सोने की हॉलमार्किंग के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2024 में सोने, की मांग सबसे अधिक रही थी, लेकिन अभी वैसे निवेशक, जिन्होंने सोने में निवेश सिर्फ लाभ कमाने के लिए किया है, वे ऐसी स्थिति का फायदा उठाते हुए सोने के सिक्के और सोने के आभूषण बेच रहे हैं। डब्ल्यूजीसी के अनुसार, 2023 की मार्च तिमाही में 34.8 टन सोना नकदी के लिए बेचा गया, जबकि मार्च 2024 में 38.3 टन सोना बेचा गया और एक अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में 40 टन से अधिक सोना बेचे जाने की संभावना है। भारत सोने की मांग की घरेलू आपूर्ति करने में असमर्थ है, क्योंकि यहां अपेक्षित मात्रा में सोने का उत्पादन नहीं होता है। वर्ष 2024 के 11 महीनों में भारत ने कुल 47 अरब अमेरिकी डॉलर का सोना आयात किया था, जो अब तक का उच्चतम स्तर है, जबकि वर्ष 2023 में भारत ने कुल 42.6 अरब अमेरिकी डॉलर का सोना आयात किया था। वैसे, दुनिया में सबसे ज्यादा सोना चीन खरीदता है। उसने वर्ष 2023 में 224.88 मीट्रिक टन सोना खरीदा था। उसी साल तुर्किये ने 130.64 मीट्रिक टन, पोलैंड ने 130.03 मीट्रिक टन, सिंगापुर ने 76.28 मीट्रिक टन, लीबिया ने 30.01 मीट्रिक टन, चेक गणराज्य ने 18.71 मीट्रिक टन और इराक ने 8.12 मीट्रिक टन सोना खरीदा था।