Homeरायगढ़रायगढ़ जिले में रेत माफिया बेलगाम, धड़ल्ले से हो रही अवैध रेत...

रायगढ़ जिले में रेत माफिया बेलगाम, धड़ल्ले से हो रही अवैध रेत डंपिंग

गैर स्वीकृत घाटों से अवैध खुदाई, मशीनों का भी हो रहा इस्तेमाल, लैलूंगा क्षेत्र में उड़ीसा से हो रही सप्लाई

क्रांतिकारी संकेत
रायगढ़।
 जिले में रेत माफिया बेलगाम हो गए हैं। नदियों की छाती को चीरकर रेत का अवैध खनन और डंपिंग की जा रही है। जिले के खरसिया, धरमजयगढ़, लैलूंगा क्षेत्र में बारिश पूर्व बड़े पैमाने पर रेत की डंपिंग की जा रही है। बिना स्वीकृत घाटों पर रेत माफिया बेतहाशा खनन कर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे एक ओर सरकार को राजस्व की भारी हानि हो रही है, दो दूसरी ओर पर्यावरण व जल संरक्षण भी प्रभावित हो रहाहै। ओडिशा से बड़े पैमाने पर रेत लाकर लैलूंगा के विभिन्न गांवों नारायणपुर, लमडांड, और आसपास के इलाकों में अवैध रूप से बेची जा रही है। इस सबके बावजूद प्रशासन और खनिज विभाग पूरी तरह से मूकदर्शक बना हुआ है।

WhatsApp Image 2025-05-20 at 10.33.52 AM
WhatsApp Image 2025-05-20 at 10.33.52 AM

स्थानीय ग्रामीणों और सूत्रों की मानें तो लैलूंगा और उसके आसपास के क्षेत्रों में कई ऐसे घाट सक्रिय हैं जिन्हें न तो सरकार की स्वीकृति प्राप्त है और न ही उनके संचालन की कोई वैध अनुमति है। इन घाटों पर भारी-भरकम पोकलेन मशीनों और हाई-लिफ्ट डम्पफरों की मदद से दिन-रात रेत निकाली जा रही है। यह सब कुछ इतनी खुलेआम हो रहा है कि मानो यह अवैध नहीं बल्कि सरकारी संरक्षण में संचालित कोई योजना हो। रेत की डंपिंग के लिए गांवों में अस्थायी गोदाम बना लिए गए हैं जहां माफिया अपनी मनमानी कीमतों पर रेत बेच रहे हैं। सरकारी रेट की अनदेखी करते हुए रेत की किल्लत का डर दिखाकर लोगों से कई गुना अधिक दाम वसूले जा रहे हैं।

खबर है कि ओडिशा से बड़ी मात्रा में रेत लाकर छत्तीसगढ़ में बेचा जा रहा है। डम्पर, हाईवा और ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसे भारी वाहन बिना किसी चेकिंग के दिन-रात दौड़ रहे हैं। स्थानीय पुलिस, परिवहन विभाग और खनिज विभाग को यह सब दिखाई नहीं देता, या फिर जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है – यह एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है।

प्रशासन की नाक के नीचे हो रही लूट, कोई सुनवाई नहीं
प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाना अब जनता की मजबूरी बन गई है। जब दिन-दहाड़े सडक़ पर खुलेआम रेत से भरे ट्रक दौड़ते हैं, जब गांवों के बीच खुले मैदान रेत गोदाम बन जाते हैं, इस पर कार्रवाई नहीं होने से लोग प्रशासन पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन की चुप्पी माफियाओं से मिलीभगत का संकेत देती है। कई बार शिकायतें करने के बावजूद कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। एक-दो वाहनों को जब्त कर मामूली जुर्माना लगाकर फिर छोड़ दिया जाता है।
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, पर्यावरण पर गंभीर असर
रेत नदियों की जीवनरेखा होती है। यह न सिर्फ जलधारा को नियंत्रित रखती है, बल्कि इसके माध्यम से भूजल स्तर भी संतुलित रहता है। लेकिन जब इसी रेत का अवैध दोहन किया जाता है, तो नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। लैलूंगा क्षेत्र में हो रहे इस अंधाधुंध खनन से नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है। नदियों की गहराई असंतुलित हो गई है, जिससे बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है। इसके अलावा, आसपास के खेतों में सिंचाई पर भी प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है।

Mentor Ramchandra (Youtube)

Mentor Ramchandra (Youtube)

spot_imgspot_img

Must Read