
पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को भेजा इस्तीफा पत्र, पार्टी में हो रही लगातार उपेक्षा से चल रहे थे नाराज
क्रांतिकारी संकेत न्यूज
रायगढ़। नगर निगम में महापौर व नेता प्रतिपक्ष के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच सोमवार को पूर्व महापौर जेठूराम मनहर के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफे की खबर ने शहर की सियासत में गर्माहट ला दी है। उन्होंने सीधे प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को भेजे अपने इस्ताफे में लिखा है कि वे व्यक्तिगत कारणों से कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। आपको बता दें कि रायगढ़ नगर निगम का गठन होने के उपरांत 2004 में जेठूराम मनहर ने भाजपा प्रत्याशी सीताराम चौहान को पराजित कर शहर का पहल महापौर बनने का गौरव हासिल किया था। वर्ष 2009 व 2014 में भी कांग्रेस ने श्री मनहर को उम्मीदवार बनाया था लेकिन उन्हें 2009 में भाजपा के महेंद्र चौहथा व 2014 के चुनाव में निर्दलीय किन्नर उम्मीदवार मधु बाई के हाथों पराजय का सामना करना पड़ सकता है।
बताया जा रहा है कि जेठूराम मनहर पार्टी में लगातार हो रही उपेक्षा से क्षुब्ध थे। हाल के वर्षों में पार्टी के भीतर उनकी अनदेखी से वे नाराज चल रहे थे, जिसके चलते आज उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। निगम के पूर्व महापौर जेठूराम मनहर ने अपने इस्तीफे को लेकर कहा है कि वे कई महीनों से कांग्रेस में अपने आपको असहज महसूस कर रहे थे, इसलिए आज उन्होंने यह इस्तीफा दिया है। उन्होंने इस्तीफे के पीछे का कारण खुलकर तो नहीं बताया लेकिन इशारों-इशारों में यह बता दिया कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उनकी अनदेखी की जा रही थी। अपने इस्तीफे के बाद नई पार्टी में शामिल होने के सभी विकल्प खुला होना बताया।
पहले जैसी नहीं थी सक्रियता: अनिल शुक्ला
रायगढ़ शहर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अनिल शुक्ला का कहना है कि जेठूराम मनहर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं और निगम में प्रथम महापौर के रूप में बनने से उन्हें बकायदा सम्मान दिया जाता रहा है। अचानक उनके इस्तीफे के पीछे क्या कारण हो सकते हैं यह उन्हें नहीं पता और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें पूर्व महापौर के इस्तीफे की जानकारी मिली है। बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उनकी सक्रियता पहले जैसी नहीं थी।
सियासी महत्वाकांक्षा पर पार्टी की उपेक्षा पड़ी भारी
इधर कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कांग्रेस की टिकट पर तीन बार महापौर का चुनाव लडऩे वाले जेठूराम मनहर की उपेक्षा वाली बात समझ से परे है। मुझे लगता है, यह उनकी सियासी महत्वाकांक्षा है, जो पार्टी की तथाकथित उपेक्षा पर भारी पड़ी है। जिला कांग्रेस से करीब दो दशकों से भी अधिक समय से जुड़े भूतपूर्व महापौर जेठूराम मनहर ने सोमवार को जैसे ही अपना त्यागपत्र अपने सोशल मीडिया पेज पर साझा किया, शहर की सियासी सरगर्मी बढ़ गई। हर चौक चौराहे पर तरह तरह के कयास लगाते राजनैतिक चर्चा जोर पकडऩे लगी। उनका कहना है कि वे कांग्रेस के समर्पित और कर्मठ सिपाही रहे किंतु बीते पंचवर्षीय में प्रदेश तथा नगर में कांग्रेस की सत्ता के दौरान उनकी निरंतर उपेक्षा हुई। हालात ऐसे भी बन गए थे कि जेठूराम एक दो बार खुलकर तत्कालीन नगर विधायक और वर्तमान महापौर के विरोध में खड़े हो गये थे। पार्टी से जेठू की नाराजगी तब पहली बार खुलकर सामने आई जब विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे आए। इन नतीजों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के चंद माह बाद ही नगर के सियासी हल्के में भूतपूर्व महापौर जेठूराम मनहर के कांग्रेस छोडऩे का शोर होने लगा था किंतु सियासी नब्ज की गहरी पहचान रखने वाले जेठू ने उस वक्त इसे अफवाह बताकर किनारा कर लिया था। बहरहाल जेठूराम ने मीडिया से चर्चा में इतना ही कहा कि अब कांग्रेस में उनका राजनैतिक भविष्य सुरक्षित नहीं है और पार्टी की उपेक्षा भी अब बर्दाश्त करना कठिन हो रहा है। इसलिए उन्होंने बगैर दोषारोपण अपना रास्ता अलग कर लिया है।
अपनी बेटी को पार्षद का टिकट दिलाने लगाया था जोर, नहीं बनी थी बात
कांग्रेस से जेठूराम की नाराजगी के कई कारण हैं। वर्ष 2019 के नगर निगम चुनाव की बात करें तो जेठूराम मनहर ने वार्ड नं. 4 से अपनी सुपुत्री को पार्षद का टिकट दिलाने के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगाया था। श्री मनहर अपनी फरियाद लेकर नंदेली हाऊस भी गये थे परंतु उन्हें मायूसी हाथ लगी क्योंकि कांग्रेस ने जानकी अमृत काटजू को अपना उम्मीदवार बनाया और बाद में जानकी काटजू ने महापौर का चुनाव जीता। उसके बाद जेठूराम मनहर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने को उत्सुक थे। अनिल अग्रवाल, नगेंद्र नेगी, संतोष राय, सतपाल बग्गा, प्रदीप मिश्रा, यतीश गांधी समेत संगठन के एक गुट ने जेठूराम के पक्ष में जबर्दस्त लॉबिंग भी की लेकिन अध्यक्ष बनने की जेठूराम की यह मुराद भी अधूरी रह गई। विधानसभा चुनाव का बखत आया तो श्री मनहर ने प्रकाश नायक को उम्मीदवार बनाने को लेकर जोरदार मुखालफत की और विधानसभा चुनाव के बाद तक जेठूराम की नाराजगी बरकरार रही।
भाजपा में शामिल होने की चर्चा है सरगर्म
रायगढ़ के प्रथम महापौर जेठूराम मनहर के इस्तीफे के बाद शहर में कई तरह की चर्चा हो रही है। कांग्रेस से इस्तीफा के बाद उनका अगला राजनीतिक कदम क्या होगा, इस पर लोगों की नजर भी है। कुछ लोगों का कहना है कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। कुछ का तो इतना भी कहना है कि उन्हें भाजपा की ओर से अंदरुनी तौर पर ऑफर भी मिल गया है, इसके बाद ही उन्होंने यह कदम उठाया है। नवंबर-दिसंबर में निगम का चुनाव होना है। इसके कारण इस कयास को बल भी मिल रहा है। चूंकि वे वार्ड क्रमांक 4 से अपने या अपने परिवार के सदस्यों के ेलिए टिकट मांग सकते हैं। इसी वार्ड से वर्तमान महापौर जानकी काटजू भी पार्षद हंै। ऐसे में जानकी काटजू की पुख्ता दावेदारी रहेगी और जेठूराम की दावेदारी कमजोर हो जाएगी। इसे देखते हुए वे भाजपा में शामिल होकर वहां से दावेदारी कर सकते हैं। फिलहाल, इस तरह के कई सवाल सियासी फलक पर तैर रहे हैं।