
धड़ल्ले से बिक रहा है मिलावटी दूध और पनीर, फूड प्वाइजनिंग से लोग हो रहे बीमार
क्रांतिकारी संकेत न्यूज
रायगढ़। दूध और इससे बनने वाले प्रॉडक्ट मे मिलावट अब इतनी आम हो गई है कि ऐसा लगता है कि मिलावट का धंधा कितने बड़े स्तर पर हो रहा है!जितनी बार भी दूध के सैंपल चेक किए गए,जबकि कई तरह के कैमिकल के इस्तेमाल से दूध बनाया जा रहा है,यह सभी को मालूम है फिर भी जांच मे साबित ना होना कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत को दर्शाता है। खाद्य पदार्थों मे हो रही असीमित मिलावट से हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ी, सभी की सेहत को खतरा है। लगभग 3 लाख आबादी वाले रायगढ़ में दूध की खपत रोजाना 1 लाख लीटर की है। जबकि करीब 70 हजार लीटर ही दूध का उत्पादन होता है। खपत के अनुपात में उत्पादन इतना नहीं है कि हर किसी को शुद्ध दूध उपलब्ध हो सके। इसके कारण मिलावटी दूध का कारोबार भी पैर पसार रहा है। एक लीटर से ढाई लीटर बनाने का खेल धड़ल्ले से जारी है। छोटी-बड़ी करीब एक दर्जन दूध डेयरियों में दूध की मिलावट जोरों पर है। दुग्ध विक्रेताओं को मुहमांगा दाम चुकाने के बावजूद दूध के शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है।
नगर में नागरिकों को दूध के नाम पर सफेद पानी खरीदना पड़ रहा है। दूध में पानी की जगह अब पानी मे दूध मिलने लगा है जिसको पीकर बच्चे और अन्य लोग बीमार तक पड़ रहे है। वैसे तो नगर में गिनती की दूध डेयरी है। किंतु बाहर से आने वाला दूध गली मोहल्ले में साइकिलों से बेचने वालों की एक लंबी कतार लगी रहती है। सैकड़ों लीटर दूध गांव से आता है। उनकी कभी किसी तरह जांच नहीं होती, जिसके चलते मिलावटी दूध विक्रेताओं के हौसले बुलंद है।
लोगों की शिकायत है कि शहर में अधिकारियों की लापरवाही से मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हैं। दूध विक्रेता शहर में धड़ल्ले से मिलावटी दूध का कारोबार कर रहे हैं। शहर के चक्रधर नगर क्षेत्र मे संचालित डेयरियों में सबसे ज्यादा मिलावट की जानकारी मिल रही है।
इसके जरिए लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। डॉक्टर भी इस बात को मान रहे हैं कि मिलावटी वस्तुओं के सेवन से बीमारों की संख्या बढ़ रही है। दूध में पानी की मात्रा का प्रतिशत गर्मी शुरू होने के पहले मांग और खपत में अंतर आने के कारण दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं दूध में पौष्टिक पदार्थ की मात्रा मिलावट के कारण घटती जा रही है। दूध में मिलावट होने से आमजनों को परेशानी एवं चिंता रहती है। बच्चों को मिलावटी दूध देने से बीमारी का खतरा बना रहता है।
जिम्मेदारों को नहीं है परवाह
संबंधित विभाग अधिकारियों द्वारा मिलावट को लेकर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे विभाग की लचर कार्यशैली उजागर होती है। खाद्य विभाग की टीम के निष्क्रिय होने का फायदा मिलावटखोर जमकर उठा रहे है। दूध विक्रेता प्रशासन के नियम कायदों को ताक में रख अपनी मनमर्जी के अनुसार मिलावटी दूध का कारोबार जोर-शोर से कर रहे हैं। जोरों पर की जा रही मिलावटी खोवा व पनीर की बिक्री धडल्ले से जारी है। इन दिनों बड़े पैमाने पर खोवा,पनीर नकली दूध से तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा नकली दूध से मिठाइयां बनाई जा रहीं हैं। मिलावटी दूध से बनाई जा रही यह सामग्री ब्लाकों में सप्लाई की जा रही है,वहीं नगर में भी इनका प्रयोग खूब हो रहा है। अफसरों को भी जानकारी है कि क्षेत्र में कौन नकली दूध का कारोबार कर रहा है। बावजूद इसके कभी कोई चेकिंग नहीं होती। इन दिनों अस्पताल में आने वाले 100 में से 25 मरीजों के गला व पेट खराब होने से बुखार, पेट में ऐंठन व गैस आदि के होते हैं। इसके पीछे दूध, दही, पनीर, फल, सब्जी या अन्य सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों में मिलावट का असर माना जा सकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
बीमारियों का खतरा- कॉर्बन व भारी मेटल युक्त रंगों का प्रयोग मिठाइयां बनाने में किया जा रहा है। इसका सेवन करने से आंत में संक्रमण होने से पेट खराब हो जाता है। मिलावटी खाद्य पदार्थों के लंबे समय तक सेवन करने से कैंसर भी हो सकता है।
डॉ. एके गुप्ता
फिजिशियन, डाइट विशेषज्ञ
नुकसान की सूचना नहीं- यद्यपि दूध का उत्पादन गिर रहा है यह सच है पर नकली दूध कहीं भी मिलने की कोई सूचना नहीं है। हां यह सच है कि दूध मिलावटी बिक रहा है पर उसके उपयोग से किसी तरह का नुकसान होने की अभी तक जानकारी नहीं है।
एके बेहरा
निरीक्षक, खाद्य औषधि प्रशासन