
अवैध कब्जे से मालामाल हो रहा पुसौर तहसील कार्यालय, बेजा कब्जा करने का मौका देकर कर रहे वसूली
क्रांतिकारी संकेत न्यूज
रायगढ़। सत्ता सरकार के परिवर्तन के बाद बेजा कब्जा हटाओ अभियान सफल होता नजर आ रहा था। इसके लिए शासन और प्रशासन दोनों ही मिलकर काम करते दिख रहे थे। लेकिन पुसौर तहसील कार्यालय इन सबसे अनूठा और अलग ही कार्य करता दिख रहा है। यूं तो छोटे-मोटे बेजा कब्जा होता ही रहता है लेकिन पुसौर में बेजा कब्जा वाला यह काम सिंडिकेट के तरीके से होता नजर आ रहा है। पुसौर तहसील कार्यालय के विभिन्न क्षेत्रों में बेजा कब्जा से जमीन हथियाने और उस पर मकान बनाने का अभियान लगातार चलता आ रहा है। जो कि निरंतर गतिमान है। और इसके रूकने के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। क्योंकि इसमें नीचे से लेकर ऊपर तक तहसील में हिस्सेदारी चल रही है। वरिष्ठ अधिकारी जिले मे निरंतर बेजा कब्जा अभियान के विरूद्ध लगे हुए हैं लेकिन पुसौर तहसील कार्यालय अपने ही मिजाज में काम कर रहा है। यही आलम रहा तो शासन प्रशासन की मिट्टी पलीत होना तय है।

शिकायत पर नाम का नोटिस
पुसौर तहसील कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि पुसौर तहसील कार्यालय में ऐसा नहीं है कि शिकायत नहीं होती। बकायदा कई बार शिकायतें हो चुकी हंै। मीडिया मे खबरें भी लगातार आ रही हंै। लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगती। वे दिखावे के नाम पर नोटिस तो काट देते हैं लेकिन अंदरखाने सेटिंग चलती रहती है। वे दलालों के माध्यम से बेजा कब्जा को जारी रखते हैं और अपनी डिमांड एवं हिस्सेदारी बढ़ा देते हैं। इसी तरह यह क्रम नोटिस-नोटिस करके जारी रहता है। यदि इसी प्रकार यह चलता रहा तो इसके छींटे जिला मुख्यालय पर और जनप्रतिनिधि पर भी आ सकते हैं। इसके पहले ही पुसौर तहसील कार्यालय को दुरूस्त करना होगा।
सिंडिकेट के तरीके से बेजा कब्जा
तहसील कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि बकायदा क्षेत्र चुनकर फिर वहां के प्रतिनिधि, कोटवार या पटवारी एवं दलाल आदि के सहयोग से पहले जमीन कब्जा करने दिया जाता है। फिर धीरे से वहां कच्चा मकान खड़ा कर दिया जाता है। जब महीने दो महीने किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं होती तो धीरे से रातों-रात पक्की बिल्डिंग खड़ी कर दी जाती है। इसके लिए क्षेत्र आदि चुन लिए जाते हैं और प्लानिंग से यह काम चलने की जानकारी मिलती रही है।
महीनों में कर रहे काम
सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि बेजा कब्जा के विरूद्ध अभियान की घोषणा इस प्रकार होकर रह गई है जैसे थोथा चना -बाजे घना अर्थात हम बेजा कब्जा हटाने का हल्ला तो करेंगे परंतु हटाएंगे नहीं। यदि किसी प्रकार की शिकायत आती है तो महीनों उस पर ध्यान नहीं दिया जाता। ताकि बेजा कब्जा करने वाले शिकायतकर्ता के साथ मिलकर सेटिंग कर लें। यही आलम मचा रहा तो पुसौर तहसील कार्यालय सबसे भ्रष्ट तहसील कार्यालय में गिना जाएगा।