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साइकिल से सब्जी बेचने वाली शहर की इकलौती महिला

क्रांतिकारी संकेत न्‍यूज
रायगढ़।
वह रोज सुबह अपने घर से साइकिल पर हरी सब्जियां लेकर शहर में निकलती है, उम्र ज्यादा नहीं 32-35 छरहरी लम्बी सी जब शहर के मोहल्लों में सब्जियों से भरी साइकिल लेकर निकलती है और जोर से आवाज लगाकर लोगों को सब्जी ले जाओ-सब्जी ले जाओ कहती है तब उसका उत्साह देखते ही बनता है।

मूलत: मालखरौदा की रहने वाली इस महिला का नाम चंद्रकुमारी है। शादीशुदा और तीन बेटों की मां है। अपने तीनों बेटों को स्कूलों में पढ़ाती है और घर का सारा खर्च उठाती है। उससे यह कहे जाने पर की तुम ऑटो चलाना क्यों नहीं सीख जाती सब्जी बेचने से ज्यादा आमदनी हो सकती है तुम्हारी। तब वह कहती है ऑटो वाटो मैं नहीं चला सकती सब्जी बेचने से ही हमारा गुजारा हो जाता है। रोज कितने कमा लेने पर वह बताती है कि औसतन 250 से 300 रूपए तक रोज आमदनी हो जाती है। सब्जी कहां से लाती हो तो वह बताती है सुबह 5 बजे से पटेलपाली निकल जाती हूँ और वही थोक सब्जी बेचने वालों से सब्जी खरीदकर लाती हूँ। जितनी सब्जी लाती हूँ बिक जाती है या बच जाती है पूछने पर बताती है अमूमन रोज पूरी सब्जी बेच ही डालती हूँ लेकिन कभी-कभी सब्जी बच भी जाती है। उसे हम घर में उपयोग कर लेते है। यह पूछे जाने पर कि औरत होने की वजह से तुम्हें सब्जी बेचने में किसी तरह की परेशानी का सामना तो नहीं करना पड़ता तो वह हँसते हुए कहती है कि जब मर्दों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता तो औरतों को क्यों परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

बहरहाल अब उसका ईरादा एकाध स्कूटी जैसी गाड़ी खरीदने की है ताकि वो जल्दी से जल्दी सब्जियां बेचकर वापस घर लौट सके। बिला शक चंद्रकुमार नाम की यह महिला उन दूसरी औरतों के लिये भी प्रेरणा है जो नौकरी के लिये सालों भटकती रहती हैं और कभी भी स्वावलंबी नहीं बन पाती।

Mentor Ramchandra (Youtube)

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