
प्रत्याशी चयन को लेकर किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहती पार्टी
क्रांतिकारी न्यूज
रायगढ़। अभी नगर निगम चुनाव के लिए तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। मगर वार्डों के आरक्षण के बाद पार्षद चुनाव की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। यही वजह है कि वार्डों में पार्षद चुनाव को लेकर अभी से सरगर्मियां बढऩे लगी है। चुनाव समर में कुदने के लिए प्रत्याशी सामने आने लगे हैं। इसी बीच शहर के वार्डों में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उड़ीसा टीम लगाकर अंदरूनी सर्वे कराया जा रहा है। ताकि पार्टी इस बार जिताऊ प्रत्याशी उतार कर रायगढ़ नगर निगम में कब्जा कर सके। क्योंकि इस बार रायगढ़ नगर निगम के चुनाव को प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री और रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी के राजनीतिक वर्चस्व से जोडक़र देखा जा रहा है। इसीलिए ओपी चौधरी और भारतीय जनता पार्टी इस बार के नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहती। फिलहाल चुनाव के तारीख अभी तय नहीं हो पाया है इसीलिए पार्टी के पास पूरा समय है कि वह वार्डों में प्रत्याशी उतारने से पहले प्रत्याशियों को लेकर आम जनता के मिजाज को भी ठीक से समझ ले ताकि इस बार उन्हें वार्डों में हर का सामना नहीं करना पड़े।
वार्डों में टोह लेने घूम रही टीम
नए साल के जश्न के साथ वार्डों में सर्वे का काम भी शुरू हो गया है इसके लिए बाकायदा अलग-अलग वार्डों में लगभग 10 लोगों की सर्वे टीम घूम रही है। सर्वे की टीम के द्वारा पूछा जा रहा है कि आप अपने वार्ड में किस पार्षद के रूप में देखना चाहते हैं आप अपने वर्तमान पार्षद के कामकाज से कितना संतुष्ट हैं। वादों का तो लेते हुए टीम यह भी पता करें कि किस वार्ड से कितने दावेदार सामने आ रहे हैं, उनका बैकग्राउंड क्या है चुनाव जीतने की संभावना किस प्रत्याशी या दावेदार का अधिक है।
बुद्धिजीवी पत्रकार और व्यवसाईयों से भी कर रहे संपर्क
उड़ीसा से आई टीम शहर के बुद्धिजीवी पत्रकार और व्यवसाईयों से संपर्क कर दावेदारी करने वाले नेताओं के संबंध में जानकारी जुटा रहे हैं। वहीं टीम के द्वारा कांग्रेस के वर्चस्व वाले वार्डों में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि कांग्रेस के दमदार और लगातार काबिज होने वाले वार्डों में इस बार तगड़े प्रत्याशी उतारे जा सके। इसके लिए शहर के कई वरिष्ठ पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता और शहर के कई प्रतिष्ठित व्यापारियों से भी जानकारी इकट्ठा की जा रही है।
दावेदारों को खबर नहीं
जब से आरक्षण की घोषणा हुई है तब से वार्डों में प्रत्याशियों का नाम लगातार सामने आ रहे हैं कई दावेदार ऐसे हैं जो खुलकर प्रचार प्रसार भी करने लगे हैं। मगर चुनाव को लेकर उतावले होने वाले दावेदारों के लिए यह सर्वे मुसीबत भी खड़ी कर सकती है। क्योंकि जिन लोगों ने खुलकर दावेदारी पेश कर दिया है अथवा वार्डों में भी अपनी सक्रियता बढ़ी लिया है उनका विरोध भी कहीं ना कहीं देखा जा रहा है जिससे इस सर्वे से राजनीति में उतावलापन दिखाने वाले दावेदारों के लिए मुश्किल खड़ी होने की संभावना भी है।