
जशपुरनगर। सोमवार को वट सावित्री व्रत के अवसर पर शहर की विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए श्रद्धापूर्वक वट सावित्री पूजा की। पूरे शहर में धार्मिक आस्था का माहौल देखने को मिला। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजकर बरगद (वट) के पेड़ के नीचे पूजा करती नजर आईं। कुछ महिलाओं ने घर के आंगन या छत पर गमले में लगाए गए वट वृक्ष की भी पूजा की।
सुबह से दोपहर तक महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए उस पर कच्चा सूत (धागा) लपेटा। शिव मंदिर, बालाजी मंदिर, होम्योपैथिक अस्पताल के सामने, वन विभाग कार्यालय, दरबारटोली और दरबारीटोली जैसे स्थानों पर सामूहिक रूप से महिलाओं ने पूजन में भाग लिया।
पूजन सामग्री और पारंपरिक रीति-रिवाज
महिलाओं ने पूजा के लिए विशेष सामग्री जैसे सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, बांस का पंखा, लाल कलावा, वट वृक्ष का फल, धूप, दीपक, फल-फूल, बतासा, सिंदूर, इत्र, पान-सुपारी, नारियल, सुहाग सामग्री, मिठाई, घर में बने व्यंजन, जल कलश, मखाना, मूंगफली, चना, और पूजा के अन्य आवश्यक सामानों के साथ व्रत का पालन किया।
सावित्री-सत्यवान की प्रेरणादायक कथा
व्रत के दौरान हरशिंकर मिश्रा और रविशंकर मिश्रा ने महिलाओं को वट सावित्री व्रत की कथा सुनाई। कथा के अनुसार, सावित्री के पति सत्यवान की अकाल मृत्यु के बाद, वह यमराज के पीछे चल देती हैं और अपने सती धर्म से उन्हें प्रसन्न करती हैं। यमराज उसे तीन वरदान देते हैं, जिनमें 100 पुत्रों की माता बनने का वर भी शामिल होता है, जिससे सत्यवान का जीवन पुनः मिल जाता है। इस धार्मिक आयोजन के माध्यम से महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए पतिव्रता धर्म का पालन किया।